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Mahashivratri 2020 : ये हैं 4 पहर की शिव पूजा का सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

महाशिवरात्रि महापर्व पर इस मुहूर्त में ऐसे करें शिव पूजा

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भोपाल

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Shyam Kishor

Feb 20, 2020

Mahashivratri 2020 : ये हैं 4 पहर की शिव पूजा का सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

Mahashivratri 2020 : ये हैं 4 पहर की शिव पूजा का सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

अब शिव भक्तों का इंतजार खत्म हुआ, 21 फरवरी दिन शुक्रवार को हैं महाशिवरात्रि का त्यौहार। महाशिवरात्रि का महापर्व विशिष्ठ महासंयोग के साथ हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन अपने आप में स्वतः ही शुभ मुहूर्त होता है। इस साल 2020 में ज्योतिषीय पंचांग के अनुसार, जानें महाशिवरात्रि पर शिव पूजा का सबसे सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त एवं संपूर्ण पूजा विधि।

इन पूजा सामग्रियों से करें महादेव का पूजन

सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, भाँग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, पंच फल पंच मेवा, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, शिव व माँ पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन आदि।

इन चीजों से रुद्राभिषेक के लाभ

1- गाय के दुग्ध से रुद्राभिषेक करने पर संपन्नता आती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

2- जो लोग रोग से पीड़ित हैं तथा प्रायः अस्वस्थ रहते हैं या किसी गंभीर महा बीमारी से परेशान है वे कुशोदक से रुद्राभिषेक करें। कुश को पीसकर गंगा जल में मिला लीजिए फिर भगवान शिव का श्रद्धा पूर्वक रुद्राभिषेक करें।

3- धन प्राप्ति के लिए देशी गाय के घी से रुद्राभिषेक करें।

4- किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए पवित्र नदियों के जल से रुद्राभिषेक करें।

5- गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करने पर कार्य में आने वाली बाधाएं समाप्त होने के साथ वैभव और सम्पन्नता में वृद्धि होती है।

6- शहद से रुद्राभिषेक करने से जीवन के सारे दुख समाप्त होते हैं।

शुक्रवार 21 फरवरी को ये हैं महाशिवरात्रि महापर्व पूजन के लिए सबसे उत्तम शुभ मुहूर्त

1- पहले पहर की पूजा- शाम 5 बजकर 20 मिनट से 7 बजकर 27 मिनट तक।

2- दूसरे पहर की पूजा- रात 9 बजकर 25 मिनट से रात 12 बजकर 43 मिनट तक।

3- तीसरे पहर की पूजा- अर्धरात्रि 12 बजकर 43 मिनट से ब्रह्ममुहूर्त में 3 बजकर 53 मिनट तक।

4- चौथे पहर की पूजा- ब्रह्ममुहूर्त में 3 बजकर 53 मिनट से प्रातः 6 बजे तक।

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