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Pradosh Vrat- 2021 के आखिरी माह में गुरु और शुक्र प्रदोष का योग, जानें कब क्या करें

जानिये दिसंबर में पड़ने वाले दोनों प्रदोष की दिनांक, मुहूर्त और पूजा- विधि

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pradosh vrat of december 2021 called triyodashi tithi

pradosh vrat of december 2021 called triyodashi tithi

Pradosh Vrat : हिंदू धर्म में जैसे एकादशी का महत्व है उसी प्रकार प्रदोष व्रत (त्रयोदशी तिथि) को भी अत्यंत विशेष माना गया है। इनमें मुख्य अंतर केवल इतना है कि जहां एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है, वहीं त्रयोदशी तिथि यानि प्रदोष भगवान शंकर को समर्पित है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह के दो पक्ष होते हैं, जिन्हें शुक्ल व कृष्ण पक्ष कहा जाता है। ऐसे में त्रयोदशी तिथि पर रखे जाने वाला प्रदोष व्रत दोनों पक्षों में आता है। इस तरह से पूरे साल में कुल 24 प्रदोष व्रत आते हैं। और इस व्रत का सनातन यानि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व माना गया है।

मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत पर भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने वाले व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है।

वहीं यह प्रदोष व्रत सप्ताह के वार के नाम से जाने जाते हैं। जैसे सोमवार को त्रयोदशी होने पर यह सोम प्रदोष कहलाता है तो वहीं मंगलवार को ये भौम प्रदोष आदि।

ऐसे में साल 2021 के अंतिम महीने यानि दिसंबर में, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह है, इसके शुक्ल पक्ष का और पौष माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत पड़ेगा। जो क्रमश: गुरु प्रदोष व शुक्र प्रदोष होंगे। तो आइये जानते है इस महीने (दिसंबर 2021) पड़ने वाले इन दोनों महत्वपूर्ण प्रदोष व्रत से जुड़ी खास बातें-

16 दिसंबर, 2021 : मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत तिथि
मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी का प्रारम्भ गुरुवार,दिसम्बर 16 को 02:01 AM से
मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी का समापन शुक्रवार,दिसम्बर 17 को 04:40 AM तक।
: प्रदोष काल- 05:27 PM से 08:11 PM तक
: गुरुवार को पड़ने के कारण ये प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा।

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31 दिसंबर, 2021 : पौष कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत तिथि
पौष, कृष्ण त्रयोदशी की शुरुआत शुक्रवार, 31 दिसंबर को 10:39 AM से
पौष, कृष्ण त्रयोदशी का समापन शनिवार, जनवरी 01 को 07:17 AM तक।
: प्रदोष काल- 05:35 PM से 08:19 PM तक
: शुक्रवार को पड़ने के कारण ये प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा।

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प्रदोष व्रत: ये है पूजा-विधि
प्रदोष व्रत के तहत त्रयोदशी तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि नित्यकर्मों के पश्चात साफ- स्वच्छ कपड़े धारण करने चाहिए। इसके पश्चात
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर लें। यदि आप व्रत करने जा रहे हैं तो इस समय व्रत का संकल्प भी लें।
इसके पश्चात भगवान शंकर का गंगा जल से अभिषेक करके उन्हें पुष्प अर्पित करें।

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ध्यान रहें इस दिन भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश सहित पूरे शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए। (वहीं माना जाता है कि शिव पूजा से पूर्व माता पार्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं।)
अब भगवान शिव को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाएं। और फिर शिव आरती करें। ध्यान रखें इस दिन अधिक से अधिक भगवान शिव का स्मरण करें और पूरे दिन उनके नाम या पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते रहें।