
sharad purnima celebration
सनातन धर्म में अश्विन पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। ऐसे में इस साल इस पूर्णिमा तिथि की शुरुआत मंगलवार, 19 अक्टूबर को शाम 07:05 बजे से हो रही है, वहीं इस तिथि का समापन बुधवार, 20 अक्टूबर की रात 08:28 बजे होगा।
ऐसे में जहां देश में कई जगह शरद पूर्णिमा का ये पर्व मंगलवार, 19 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। वहीं पंचांग भेद होने के कारण कुछ जगहों पर यह पर्व बुधवार, 20 अक्टूबर को भी मनाया जाएगा।
पर्व मनाए जाने के दिन में आ रहे अंतर के संबंध में जानकारों का कहना है कि चुंकि यह तिथि मंगलवार शाम से शुरु होकर बुधवार रात तक रहेगी। ऐसे में इन दोनों के मध्य आने वाली रात में ही शरद पूर्णिमा मनाई जानी चाहिए, वहीं कुछ जानकार इसे उदया तिथि से जोड़ते हुुए इसे बुधवार को मान्य कर रहे हैं।
ऐसे में शरद पूर्णिमा के दौरान देश में जगह जगह कई धार्मिक कार्यक्रम भी होंगे। इसी के तहत भोपाल में भी शरद पूर्णिमा का पर्व बुधवार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
इस समय शहर के राधाकृष्ण मंदिरों में भी भगवान का विशेष श्र्ंगार के आलवा अन्य धार्मिक अनुष्ठान होंगे और भगवान को खीर का भोग लगाया जाएगा। शहर के राधाकृष्ण मंदिर बरखेड़ी, श्रीजी मंदिर लखेरापुरा, बांके बिहारी मंदिर चौबदारपुरा सहित अनेक मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे।
देश के दिल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इस अवसर पर यानि शरद पूर्णिमा के मौके पर भगवान वटेश्वर और मां भवानी को नौका विहार कराया जाएगा। नौका विहार कार्यक्रम 20 अक्टूबर को शीतलदास की बगिया में होगा।
बड़वाले महादेव मंदिर समिति के संजय अग्रवाल और प्रमोद नेमा ने बताया कि देर शाम को मंदिर से मां भवानी और भगवान वटेश्वर की चलित प्रतिमाएं लेकर शीतलदास की बगिया पहुंचेंगे। यहां फूलों से सजी नाव में भगवान को चंद्रमा की दूधिया रोशनी में नौका विहार कराया जाएगा।
इसके साथ ही इस दौरान राधा कृष्ण को भी नौका विहार कराया जाएगा। हिन्दू उत्सव समिति की ओर से हर साल शरद पूर्णिमा पर घोड़ा नक्कास स्थित राधा कृष्ण मंदिर से चल समारोह निकाला जाता है।
यहां प्रतिमाएं लेकर श्रद्धालु शीतलदास की बगिया पहुंचते है। हिंउस के कार्यवाहक अध्यक्ष कैलाश बेगवानी ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर भगवान को नौका विहार कराया जाएगा। श्रद्धालु प्रतिमाओं को लेकर शीतलदास की बगिया पहुंचेंगे, जहां नौका विहार कार्यक्रम होगा।
ये होगा खास
इसके साथ ही शरद पूर्णिमा के इस अवसर पर लोग खुले आसमान के नीचे दूध को औटाकर खीर बनाएंगे, मध्यरात्रि में चंद्रमा की दूधिया रोशनी इस खीर पर अमृत वर्षा करेगी और भगवान को इस खीर भोग लगााकर प्रसाद वितरित किया जाएगा। इसके साथ ही घरों और मंदिरों में भजन, कीर्तन सहित धार्मिक आयोजन होंगे।
शरद पूर्णिमा का पर्व मान्यता अनुसार सभी कलाओं से युक्त चंद्रमा इस दिन अमृत की वर्षा करते हैं, इसलिए इस दिन रात्रि में खुले आसमान के नीचे लोग दूध को उबालते हैं, ताकि चंद्रमा की सीधी किरणें उस दूध पर पड़े। यह औषधियुक्त खीर माना जाती है, जो कई तरह की बीमारियों से भी राहत प्रदान करती है। इस दिन कई दमा रोगियों को भी कई जगह औषधियुक्त खीर बांटी जाती है।
Updated on:
19 Oct 2021 09:50 am
Published on:
19 Oct 2021 09:38 am
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