
Special Secrets related to Sawan and Lord Shiv
श्रावण/सावन का महीना 6 जुलाई 2020 यानि आज से शुरु हो रहा है, वहीं इस बार सावन के पहले ही दिन सोमवार है। माना जाता है कि भगवान शिव को सावन का महीना बहुत प्रिय है। ऐसे में मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सावन के महीने में शिवजी की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। इस बार सावन में 5 सोमवार हैं और हर सोमवार पर अद्भुत योग बन रहे हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ऐसे में कई लोगों के मन में ये प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि सावन के महीने में ही भगवान शिव की विशेष पूजा क्यों होती है, और भगवान शिव को यह महीना क्यों प्रिय है? तो आइए जानते हैं यह रहस्य…
भगवान शिव को सावन का महीना विशेष प्रिय
मान्यता के अनुसार माता सती ने भगवान शिव को हर जन्म में पाने का प्रण किया था, उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के घर योगशक्ति से अपने शरीर का त्याग कर दिया था। इसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया था। माता पार्वती ने सावन के महीने में भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और उनसे विवाह किया। इसलिए भगवान शिव को सावन का महीना विशेष प्रिय है।
सृष्टि का संचालन
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु सो जाते हैं और चतुर्दशी के दिन भगवान शिव सो जाएंगे। जब भगवान शिव सो जाते हैं तो उस दिन को शिव श्यानोत्सव के नाम से जाना जाता है। तब वह अपने दूसरे रूप रुद्रावतार से सृष्टि का संचालन करते हैं। भगवान रुद्र की स्तुति ऋग्वेद में बलवान में अधिक बलवान कहकर की गई है।
सावन में रुद्राभिषेक का महत्व
चातुर्मास माह में भगवान विष्णु भी सो जाते हैं और शिवजी भी, तब रूद्र पर सृष्टि का भार आ जाता है। भगवान रूद्र प्रसन्न भी बहुत जल्दी होते हैं और क्रोध भी उनको बहुत जल्दी आता है। इसलिए सावन के महीने में भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है। ताकि पूजा से वह प्रसन्न रहें और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें।
मंगला गौरी का व्रत
सावन के महीने में ही कई व्रत किए जाते हैं, जो सुहाग के लिए माने जाते हैं जैसे- मंगला गौरी और कोकिला व्रत। मंगला गौरी का व्रत सुहागन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
यह व्रत सावन के मंगलवार के दिन देवी पार्वती के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने पर माता पार्वती के आशीर्वाद से घर में सुख-शांति का वास होता है और सुहाग को लंबी उम्र भी मिलती है।
वहीं आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर सावन मास की पूर्णिमा तक कोकिला व्रत भी किया जाता है। माता पार्वती के इस व्रत को रखने पर सौभाग्य और संपदा की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव आते हैं पृथ्वी लोक पर...
कहा जाता है कि सावन के महीने में ही भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया था। साथ ही भगवान शिव पहली बार अपने ससुराल यानी पृथ्वी लोक पर आए थे। उनके यहां आने पर भगवान शिव का जोरदार स्वागत किया गया था।
मान्यता के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी लोक अपने ससुराल जरूर आते हैं। साथ ही सावन के महीने में ही मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने शिवजी की कठोर तपस्या से वरदान प्राप्त किया था, जिससे यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।
Updated on:
06 Jul 2020 12:03 pm
Published on:
06 Jul 2020 11:59 am
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