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Utpanna Ekadashi: उत्पन्ना एकादशी 2022 कब है? जानें मुहूर्त, क्यों खास है यह व्रत

Utpanna Ekadashi 2022 Puja: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी, उत्पन्ना एकदाशी कहलाती है। भगवान विष्णु को समर्पित यह उत्पन्ना एकादशी, इस साल कब है? जानें मुहूर्त और महत्व..

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Deepesh Tiwari

Nov 10, 2022

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Utpanna Ekadashi 2022 Puja: मार्गशीर्ष या अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व माना गया है, जिसे उत्पन्ना एकदाशी कहा जाता है। दरअसल कार्तिक माह मंगलवार, 8 नवंबर को खत्म हो गया जिसके बाद बुधवार, 9 नवंबर से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हुई। इस माह यानि मार्गशीर्ष या अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व माना गया है, जिसे उत्पन्ना एकदाशी कहा जाता है।

मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति भक्ति भाव और सच्ची श्रद्धा के साथ उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल कर प्राप्ति होती है। इस माह में श्रीकृष्ण की उपासना का विधान है, वहीं एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल 2022 में उत्पन्ना एकादशी कब है, साथ ही इसका मुहूर्त और महत्व...

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उत्पन्ना एकादशी 2022 की दिनांक (Utpanna Ekadashi 2022 Date)
उत्पन्ना एकादशी का व्रत साल 2022 में रविवार, 20 नवंबर को रखा जाएगा। एकादशी तिथि के संबंध में मान्यता है कि यह भगवान विष्णु उसी प्रकार प्रिय है, जैसे भगवान शिव को त्रयोदशी (प्रदोष)। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के पूजन-मंत्रों का जाप करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद यमराज की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती हैं, साथ ही कई जन्मों पूर्व के मृतक परिजन भी तर जाते हैं।

उत्पन्ना एकादशी 2022 मुहूर्त (Utpanna Ekadashi 2022 Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2022 में एकादशी तिथि की शुरुआत 19 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर होगी और इसका यानि इस उत्पन्ना एकादशी तिथि का समापन 20 नवंबर 2022 को सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर होगा। ज्ञात हो कि एकादशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद किया जाता है। ऐसे में उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण समय - सुबह 06:48 - सुबह 08:56 के बीच होगा।

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उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व (Utpanna Ekadashi Significance)
देवी एकादशी को श्रीहरि का ही शक्ति रूप माना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार इस दिन यानि मार्गशीर्ष या अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु ने उत्पन्न होकर असुर मुर का संहार किया था, जिस कारण इसका नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ गया। माना जाता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से मनुष्यों के पिछले जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा उत्पन्ना एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को संतान सुख, आरोग्य और जन्म-मरण के बंधन से भी मुक्ति प्राप्त होती है।