scriptवरूथिनी एकादशी 2020 : शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि | Varuthini Ekadashi : Puja Muhurat 18 April 2020 | Patrika News

वरूथिनी एकादशी 2020 : शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

Published: Apr 17, 2020 11:44:54 am

Submitted by:

Shyam

वरुथिनी एकादशी तिथि 18 अप्रैल शनिवार को हैं

वरूथिनी एकादशी 2020 : शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

वरूथिनी एकादशी 2020 : शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

इस साल 2020 में वरूथिनी एकादशी व्रत 18 अप्रैल दिन शनिवार को हैं, बैशाख मास की इस एकादशी को व्रत रखकर भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा की जाती है। वरूथिनी एकादशी के दिन व्रत रखकर इस शुभ मुहूर्त में भगवान के वराह स्वरूप की पूजा इन नियमों के साथ ऐसे करें। जानें व्रत पूजा की तिथि व शुभ मुहूर्त।

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एकादशी पूजा विधि-

एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा सोलह प्रकार के पदार्थों से (षोडशोपचार पूजन)-

अक्षत, पुष्प, जल, धुप, दीप, नैवेद्य (प्रसाद), ऋतुफल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, कलावा, जनेऊ, वस्त्र, दक्षिणा, पंचमेवा आदि से विधिवत पूजन करना चाहिए। साथ ही रात में भगवान के नाम भजन कीर्तन करते हुए जागरण भी करना चाहिए।

वरूथिनी एकादशी 2020 : शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

वरूथिनी एकादशी तिथि व मुहूर्त

वरुथिनी एकादशी – 18 अप्रैल 2020

1- एकादशी तिथि का आरंभ– 17 अप्रैल दिन शुक्रवार को रात 8 बजकर 3 मिनट से हो जाएगा।

2- वरूथिनी एकादशी व्रत 18 अप्रैल शनिवार को रखा जाएगा।

3- वरूथिनी एकादशी का समापन 18 अप्रैल शनिवार की रात को 10 बजकर 17 मिनट पर होगा।

3- पारण का समय– 19 अप्रैल रविवार को सुबह 5 बजकर 51 मिनट से सुबह ही 8 बजकर 27 मिनट तक है।

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इस एकादशी के दिन सूर्यास्त के समय भगवान लक्ष्मी नारायण के चरणों के सफेद रंग के फूल चढ़ाने से नारायण के साथ माँ लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर मनचाही इच्छा पूरी होने का आशीर्वाद देती ही।

वरूथिनी एकादशी के दिन धन-वैभव एवं संपन्नता प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के इस विशेष मंत्र का जप करना चाहिए।

– ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

– ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।

वरूथिनी एकादशी 2020 : शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

वरूथिनी एकादशी व्रत करने वाले इन नियमों का पालन अवश्य करें-

– इस दिन कांसे के बर्तन में भूलकर भी भोजन नहीं करना चाहिए।

– मांस मदिरा, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्‍जी एवं शहद का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

– भूमि शयन करते हुए कामवासना का त्‍याग करना चाहिए।

– व्रत वाले दिन किसी भी प्रकार के गलत काम नहीं करना चाहिए।

– इस दिन पान खाने और दातुन करने से बचना चाहिए है।

– किसी की बुराई और चुगली नहीं करना चाहिए।

– इस दिन उपावास रखने वाले जातक क्रोध न करें और न ही झूठ बोलें।

– वरूथिनी एकादशी के दिन नमक, तेल और अन्‍न वर्जित है।

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