
vinayak chaturthi in may 2021
भगवान गणपति यानि श्री गणेश सनातन धर्म के प्रथम पूज्य देव हैं। ऐसे में सनातन धर्म में किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। इसके अतिरिक्त हिन्दू कैलेंडर में चतुर्थी तिथि को भगवान Shri Ganesh का एक प्रमुख दिन माना जाता है।
हिन्दू-मान्यताओं के अनुसार श्रीगणेश के आशीर्वाद से जीवन के सभी कार्य संभव हो जाते हैं, साथ ही सभी परेशानियों का अंत होकर सुख वैभव की भी प्राप्ति होती है। इसीलिए उनको विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, जो आपके सभी दु:खों को हर लेता है।
मान्यता के अनुसार चतुर्थी तिथि पर भगवान श्री गणेश की आराधना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। Hindu calender के प्रत्येक माह के दोनों पक्षों (कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष) में मिलाकर कुल दो चतुर्थी तिथि पड़ती हैं, इसमें कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
ऐसे में इस बार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आज यानि शनिवार, 15 मई 2021 को है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि होने के चलते इसे विनायक चतुर्थी कहा जाएगा।
विनायक चतुर्थी का मुहूर्त
चतुर्थी तिथि शुरु - 14 मई 2021 को 07:59 AM बजे से
चतुर्थी तिथि समाप्त - 15 मई 2021 को 09:59 AM तक
सभी प्रकार के सुख वैभव की होती है प्राप्ति:
विनायक चतुर्थी का Sanatan dharma में महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन भगवान श्री गणेश की मध्याह्न और दोपहर में दो बार पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है इस दिन व्रत करने जीवन की सभी कठिनाइयों और दुःख दूर होते हैं और भगवान श्री गणेश जी के आशीर्वाद से सभी प्रकार के सुख वैभव की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें पूजन-
1- दोपहर में विनायक चतुर्थी पूजन के लिए पहले शुद्ध जल से स्नान करें।
2- अपने घर के पूजा स्थल में पूजन करें।
3- इस दिन ताजी दुर्वा ही गणेश जी को अर्पित करें।
4- मोदक का ही भोग लगाएं।
5- गणेश जी को अष्टगंध का ही तिलक लगाएं।
6- ऊँ गं गणपते नमः मंत्र का जप 108 बार करें।
7- पूजा में मिट्टी के गणेश जी सबसे उत्तम माने जाते हैं।
8- विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी को सफेद या गुलाबी फूलों की माला ही पहनानी चाहिए।
पूजा में इन बातों का भी रखें खास ध्यान...
: इस दिन पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत (sankatnashan ganesh stotra) का पाठ करना भी उत्तम माना जाता है। साथ ही मान्यता के अनुसार इस दिन ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा देने से भी भगवान प्रसन्न होते हैं। इस दिन उपवास करके शाम के समय भोजन ग्रहण करना चाहिए।
: शाम के समय व्रत के पारण से पहले Lord Ganesh चतुर्थी कथा, गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ करें। आखिर में संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें और 'ॐ श्री गणेशाय नम:' मंत्र के जाप से पूजा का समापन करें।
वहीं कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी को 'वरद विनायक चतुर्थी' भी कहते हैं। ऐसा विश्वास है कि विनायकी चतुर्थी व्रत करने से घर में सुख, समृद्धि, संपन्नता के साथ-ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति भी होती है।
उपाय:
: विनायक चतुर्थी के दिन जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए हाथी को हरा चारा खिलाना चाहिए।
: विनायक चतुर्थी के दिन श्रीगणेश जी का शुद्ध जल से अभिषेक करें। साथ ही गणपति अथर्व शीर्ष का पाठ करने के बाद मावे के लड्डुओं का भोग लगाकर गणेश भक्तों में बांट दें।
भगवान श्री गणेश का नवग्रहों से संबंध...
: श्रीगणेश जी को ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह के कारक देव माने गए हैं। इनकी उपासना नवग्रहों की शांतिकारक व व्यक्ति के सांसारिक-आध्यात्मिक दोनों तरह के लाभ की प्रदायक मानी गई है।
: अथर्वशीर्ष में इन्हें सूर्य व चंद्रमा के रूप में संबोधित किया है। सूर्य से अधिक तेजस्वी व प्रथम वंदनदेव हैं। इनकी रश्मि चंद्रमा के सदृश्य शीतल है। गणेश जी की शांतिपूर्ण प्रकृति का गुण शशि यानी चंद्रमा में है। वक्रतुण्ड में चंद्रमा भी समाहित हैं।
Published on:
15 May 2021 12:14 am
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