
कर्जदारों के साथ समझौता...पैसा वसूली का रास्ता खोलना है
कर्जदारों के साथ समझौता करने का मुख्य उद्देश्य कर्जदाताओं को बिना किसी देरी के पैसा वसूल करने के लिए कई रास्ते उपलब्ध कराना है। समझौता निपटान और तकनीकी राइट-ऑफ के लिए फ्रेमवर्क पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों पर आरबीआई ने यह टिप्पणी की। आरबीआई का कहना है कि प्राथमिक विनियामक उद्देश्य उधारदाताओं के लिए बिना किसी देरी के पैसे की वसूली के लिए कई रास्ते सक्षम करना है। आरबीआई ने समझौता निपटान और तकनीकी राइट-ऑफ के लिए रूपरेखा पर एक परिपत्र जारी किया है।
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विलफुल डिफॉल्टर्स को कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं मिले
दंडात्मक उपायों को कमजोर करने पर केंद्रीय बैंक ने कहा कि 1 जुलाई, 2016 को धोखाधड़ी पर मास्टर दिशा-निर्देश और 1 जुलाई, 2015 को विलफुल डिफॉल्टर्स पर मास्टर सर्कुलर में उल्लेख किया गया है, यह अपरिवर्तित रहेगा। इन दंडात्मक उपायों में यह शामिल है कि किसी भी बैंक द्वारा विलफुल डिफॉल्टर्स के रूप में सूचीबद्ध उधारकर्ताओं को कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जानी चाहिए। ऐसी कंपनियों को उनके नाम को हटाए जाने की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए नए उद्यम शुरू करने के लिए संस्थागत वित्त से वंचित किया जा सकता है। धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत कर्जदारों को धोखाधड़ी की राशि के पूर्ण भुगतान की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए बैंक वित्त मांगने से रोक दिया गया है।
Published on:
21 Jun 2023 04:37 pm
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