आम लोग सबसे पहले टैक्स के बारे में जानना चाहते हैं। क्योंकि इसी के आधार पर उनका मंथली बजट तय होता है। इसलिए अगर सरकार बजट पेश करते समय प्रत्यक्ष कर के बारे में जिक्र करें तो इसका मतलब है ऐसा टैक्स जो व्यक्तियों और संगठनों की आमदनी पर लगाया जाता है। निवेश, वेतन, ब्याज, आयकर एवं कॉर्पोरेट टैक्स आदि प्रत्यक्ष कर के तहत आते हैं। वहीं अप्रत्यक्ष कर ग्राहकों द्वारा सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के पर लगाया जाता है। इनमें जीएसटीए कस्टम्स ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि शामिल होते हैं।
आम बजट पेश करते समय वित्त मंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों आदि का प्रस्ताव रखते हैं, इसे वित्त विधेयक कहते हैं। इसमें मौजूदा कर प्रणाली में संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है। संसद से मंजूरी मिलने के बाद ही इसे पारित किया जाता है।
व्यापार से जुड़े लोग एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क को लेकर भी चिंतित रहते हैं। क्योंकि ये वो शुल्क होता है जो उत्पाद के बनने और उसकी खरीद पर लगता है। फिलहाल देश में दो प्रमुख उत्पाद हैं जिनसे सरकार को सबसे ज्यादा कमाई होती है।
भारत में कई कंपनिया दूसरे देशों से सामान मंगाकर यहां बेचते हैं। इस पर भी सरकार टैक्स लगाती है। जिसे कस्टम ड्यूटी कहते हैं। इसे सीमा शुल्क भी कहा जाता है। यह शुल्क तब लगता है जब समुद्र या वायु मार्ग से भारत में सामान पहुुंचता है।
केंद्र सरकार का राज्य सरकारों व दूसरे देशों में मौजूद सरकारों से जो भी वित्तीय लेनदेन होता है उसे बजट के दौरान बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है। विनिवेश
आजकल केंद्र सरकार रेलवे से लेकर बिजली आदि दूसरे सरकारी विभागों का प्राइवेटाइजेशन कर रही है। ऐसे में बजट में विनिवेश के बारे में की जाने वाली घोषणाएं भी अहम होती हैं। विनिवेश का मतलब है कि सरकार का किसी पब्लिक सेक्टर कंपनी की हिस्सेदारी को निजी क्षेत्र में बेचना। यह हिस्सेदारी शेयरों के जरिए बेची जाती है।
बजट पेश करते समय अगर वित्त मंत्री बैलेंस बजट का जिक्र करें तो इसका मतलब है कि सरकार का खर्चा और कमाई दोनों ही बराबर हैं। राजकोषीय घाटा
बजट पेश करने के दौरान अक्सर सरकार ऐसी घोषणाएं करती हैं जिससे सरकार पर अतिरिक्त बोझ बढ़ता है। इसे राजकोषीय घाटा कहते हैं। इसका मतलब ऐसा नुकसान जो घरेलू कर्ज बढ़ने की वजह से होता है।
किसी भी सरकार की ग्रोथ विकास दर पर निर्भर करती है। इसकी गणना एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पादन और देश में दी जाने वाली सेवाओं काेे जोड़ कर निकाला जाता है। इसमें सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी शामिल है।