क्या है नियम
केन्द्रीय बैंक के इस सर्कुलर के मुताबिक यदि अापके साथ कोर्इ बैंकिंग फ्राॅड होता है आैर आपको इसके बारे में पता चलता है तो इसकी सूचना तीन दिनों की अंदर देनी होगी। एेसा करने के बाद इस मामले में आपकी जीरो लायबिलिटी होगी। सबसे खास बात ये है कि यदि इस तरह के फ्राॅड में आपकी कोर्इ गलती या लापरवाही नहीं है तो आपके रकम का हर्जाना बैंक को भरना हाेगा। यदि अाप बैंक को इसकी जानकारी 4 से 7 दिन के अंदर देते हैं तो इस मामले में आपकी कुछ लिमिटेड लायबिलिटी होगी। इसका मतलब है कि आपके साथ हुए फ्राॅड की रकम का कुछ हिस्सा आपको भी वहन करना होगा। अब सबसे बड़ा सवाल ये की आखिर किस हिसाब से आपकी या बैंक की लायबिलिटी की रकम तय होगी। लेकिन आपको इस बात की भी चिंता नहीं करनी है।
इस अकाउंट में फ्राॅड होने पर उठाना होगा 5,000 का नुकसान
आरबीआर्इ ने अपने सर्कुलर में इसका भी समाधान कर दिया है। यदि फ्राॅड आपके बेसिक सेविंग बैंकिंग अकाउंट यानी जीरो बैलेंस अकाउंट में हुआ है तो इसमें आपकी कुल लायबिलिटी 5,000 रुपये की होगी। एेसे में यदि आपको अकाउंट में 10,000 रुपये का कोर्इ फ्राॅड होता है तो इसमें अापको 5,000 रुपये ही मिलेंगे। बाकी का 5,000 रुपये का वहन अापको खुद करना होगा।
इस अकाउंट में फ्राॅड होने पर उठाना होगा 10,000 का नुकसान
अगर आपके पास सेविंग अकाउंट है आैर इसमें आपकी अनुमति के बिना अनआॅथराइज्ड ट्रांजैक्शन होता है तो आैर बैंक को देर से इसकी जानकारी देते हैं तो आपकी लायबिलिटी 10,000 रुपये की होगी। मान लीजिए की आपके साथ इस अकाउंट में कुल 15,000 रुपये का फ्राॅड होता है आैर आप इसकी जानकारी बैंक को 4 से 7 दिनों की अंदर देते हैं तो इस मामले आपको 10,000 रुपये की लायबिलिटी होगी। आपको केवल 5,000 रुपये ही बैंक से वापस मिलेंगे।