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हर साल तीन में सिर्फ एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ही भरता है टैक्स, ये है देश में टैक्स भरने वालों का हाल

इनकम टैक्स भरने को लेकर सरकार दिन ब दिन सख्त होती जा रही है। सरकार ने कई ऐसे शख्त कदम भी उठाये हैं जिससे देश में ज्यादा से ज्यादा लोग इनकम टैक्स भरे।

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हर साल तीन में सिर्फ एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ही भरता है टैक्स, ये है देश में टैक्स भरने वालों का हाल

नई दिल्ली। इनकम टैक्स भरने को लेकर सरकार दिन ब दिन सख्त होती जा रही है। सरकार ने कई ऐसे शख्त कदम भी उठाये हैं जिससे देश में ज्यादा से ज्यादा लोग इनकम टैक्स भरे। इनकम टैक्स भरने का मतलब होता है सरकार को अपनी आमदनी, निवेश और खर्च की सारी जानकारी देना। तो आईए जानते है कि देश के कितने ऐसे लोग है जो सरकार को अपनी इनकम की सही जानकारी देते हैं,साथ ही समय पर इनकम टैक्स भरते हैं।

तीन में से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ही भरता है टैक्स

इनकम टैक्स भरने का मतलब होता है कि देश को आगे बढ़ने और विकास करने में मदद करना। लेकिन आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी कि देश में लगभग 8.6 लाख डॉक्टरों में से आधे से भी कम डॉक्टर ऐसे है जिन्होंने इनकम टैक्स का भुगतान किया। इतना ही नहीं तीन में से सिर्फ एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ही इनकम टैक्स जमा करता है।

इतनी बढ़ी टैक्स भरने वालों की संख्या

आयकर विभाग के डेटा के अनुसार सिर्फ 13 हजार नर्सिंग होम ने टैक्स जमा किया। साथ ही 14,500 फैशन डिजाइनरों ने इनकम टैक्स जमा किया है। हर साल टैक्सपेयर की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। पिछले चार सालों में आईटीआर रिटर्न्स भरने वाले लोगों में 80 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है। सीबीडीटी के एक बयान के अनुसार अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 में कॉर्पोरेट टैक्सपेयर ने औसतन 32.28 रुपए का कर चुकाया था। जबकि
वित्त वर्ष 2017-18 में यह 55 प्रतिशत बढ़कर 49.95 लाख रुपए हो गया। सीबीडीटी का यह भी कहना है कि व्यक्तिगत टैक्सपेयर द्वारा किए गए औसत कर भुगतान का आंकड़ा 26 फीसदी बढ़ा है। वित्त वर्ष 2014-15 में यह 46,377 रुपए था। जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 58,576 रुपए हो गया है।

बढ़ रहे टैकसपेयर

आयकार विभाग कि रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2013-14 में तकरीबन 3.79 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्स भरा था। जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में 6.85 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्स भरा। गैर वेतनभोगियों की तुलना में वेतनभोगी करदाताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। गैर वेतनभोगियों की और वेतनभोगी टैक्सपेयर की संख्या बराबर है, दोनों की गिनती 2.3 करोड़ ही है।