
बैंकिंग सेक्टर में संकट के लिए पीूयष गोयल ने पूर्व यूपीए सरकार को ठहराया दोषी, कह दी ये बड़ी बात
नर्इ दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हरसंभव सहायता करेगी और उन्हें जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी पटरी पर लाएगी। गोयल ने बैंकिंग क्षेत्र के मौजूदा संकट के लिए पूर्व की यूपीए की सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र का वर्तमान संकट अतीत में अंधाधुंध बांटे गए कर्ज के कारण पैदा हुआ है। पीयूष गोयल को अस्थाई तौर पर वित्त व कारपोरेट मामलों के मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है। अरुण जेटली के गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद स्वस्थ हो जाने तक के लिए उन्हें दोनों मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। गोयल ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुख के साथ एक समीक्षा बैठक की।
विरासत में मिला बैंकिंग सेक्टर का संकट
गोयल ने बताया कि जेटली के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय के कामकाज के सिलसिले में सलाह लेने के लिए वह बुधवार को जेटली से मिले थे। गोयल ने संवाददाताओं को बताया, "उन्होंने मुझे कुछ मसलों पर सलाह दी। मैं उनके निर्देशों का अनुपालन कर रहा हूं ताकि जब तक वह अस्वस्थ हैं, उनकी अनुपस्थिति में सबकुछ सुचारु ढंग चल सके। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पूरा बैंकिंग क्षेत्र अपने बलबूते चल सके और 2014 में इस सराकर को विरासत में मिले संकट का अंत हो सके।" उन्होंने कहा, "मुझे पक्का विश्वास है कि भारतीय रिजर्व बैंक के सहयोग व निर्देशन में कार्यरत मेरे सभी बैंकर सहयोगी, सार्वजनिक क्षेत्र के लाखों कर्मचारी और बैंकिंग प्रणाली के हितधारकों के प्रयासों से हम क्षेत्र का सम्यक विकास सुनिश्चित कर पाएंगे और निष्ठा व उत्तरदायित्व के उच्च मानदंड कायम करेंगे जिसकी इन बैंकों से अपेक्षा है।"
आरबीआर्इ का काम सराहनीय
गोयल ने कहा, "हम इस बात की सराहना करते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक बैंकिंग प्रणाली का उचित ढंग से निरीक्षण सुनिश्चित कर रहा है और चूककर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, जिसपर मुझे लगता है कि पूर्व की सरकार के दौरान गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया।" गोयल के साथ इस बैठक में 11 बैंकों के प्रमुख मौजूद थे, जिनमें से कुछ ने संकट से बैंकों को निकालने के सुझाव भी दिए।
Published on:
18 May 2018 11:51 am
बड़ी खबरें
View Allफाइनेंस
कारोबार
ट्रेंडिंग
