
PSU banking sector पर मंडराया दोहरा खतरा, हो सकता है 50 हजार करोड़ का नुकसान
नर्इ दिल्ली। बैंकों के लिए अच्छी खबर नहीं है। वो भी तक जब कर्इ पीएसयू बैंक एनपीए की मार को झेल रहे हैं। आने वाले समय में इन बैंकों पर खतर आैर भी ज्यादा गहराया गया है। क्योंकि जो नुकसान उन्होंने बीती तिमाही में उठाया था। उससे भी करीब ढार्इ गुना घाटा उन्हें आने वाली तिमाही में झेलने को मिल सकता है। इस खतरे का अनुमान पत्रिका बिजनेस ने नहीं बल्कि एसोचैम ने लगाया है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर एसोचैम को यह बात क्यों कहनी पड़ी?
20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान
सार्वजनिक बैंकों के करीब 10 कर्मचारी हड़ताल पर हैं। जिसको लेकर एसोचैम ने बयान जारी करते हुए कहा है कि इन दो दिनों में इन बैंकों में लोगों 20 हजार करोड़ रुपए के लेनदेन का नुकसान हो सकता है। साथ ही एसोचैम ने बैंक कर्मचारी संघों के संयुक्त मोर्चे यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) से हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया है। इसके अलावा संगठन ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत में सुधार के लिए राहत योजना लाने का भी आग्रह किया।
बढ़ सकता है घाटा
एसोचैन ने बयान में कहा कि सार्वजनिक बैंक डूबे कर्ज की मार झेल रहे हैं। रिपोर्टों के मुताबिक उनका घाटा मार्च 2018 तिमाही में बढ़कर 50,000 करोड़ रुपए के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचने को है, जो कि इससे पिछली तिमाही में हुए घाटे 19,000 करोड़ रुपए के दोगुने से अधिक है। आपको बता दें कि पीएसयू बैंक मौजूदा समय में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। एनपीए की मार बढ़ रही है। साथ ही लोगों का बैंकों प्रति नजरिया भी नकारात्मक होता जा रहा है।
कम हो रही है जमा राशि?
जानकारों की मानें तो पीरव मोदी आैर बाकी घोटाले सामने आने आैर उनमें बैंकों के अधिकारियों के नाम शामिल होने से लोगों का विश्वास बैंकों पर कम होता जा रहा है। जिसकी वजह से बैंकों में लोगों ने रुपया रखना कम कर दिया है। अब लोग अपने रुपये दूसरी जगहों पर निवेश कर रहे हैं ताकि उनका रुपया सुरक्षित रहे। जोकि बैंकों के नजरिए से यह काफी खतरनाक स्थिति है।
Published on:
31 May 2018 10:51 am
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