
Reserve Bank of India Monetary policy 7th April 2021
नई दिल्ली। आम लोगों को रिजर्व बैंक की ओर से कोई राहत नहीं मिली है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। वहीं दूसरी ओर वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी में 10.5 फीसदी के ग्रोथ का अनुमान लगाया है। आरबीआई गवर्नर के अनुसार वैक्सीनेशन और इसका प्रभावी होना वैश्विक आर्थिक रिकवरी के लिए अहम है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को चार फीसदी, रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी, बैंक रेट को 4.25 फीसदी पर बनाए रखा है। गवर्नर ने कहा कि टिकाऊ वृद्धि के लिए जब तक जरूरत है नीतिगत रुख को उदार रखा जाएगा। इससे आने वाले समय में ब्याज दरों में कमी की गुंजाइश बनी हुई है।
महंगाई के अनुमान मेें किया बदलाव
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स इंफ्लेशन में आरबीआई ने बदलाव किया है। आरबीआई की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार 2021 की चौथी तिमाही में सीपीआई इंफ्लेशन 5 फीसदी का अनुमान लगाया गया है। जबकि 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही में यह अनुमान 5.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.4 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.1 फीसदी रखा है। 31 मार्च 2021 को, सरकार ने अगले पांच वर्षों के लिए क्रमश: 2 फीसदी और 6 फीसदी के निचले और ऊपरी टॉलरेंस लेवल के साथ महंगाई के टारगेट को 4 फीसदी पर बनाए रखने की बात कही है। जो अप्रैल 2021 से मार्च 2026 तक रहेगी।
बाजार को नहीं होगी तरलता की कमी
आरबीआई गवर्नर की ओर से दिए बयान के अनुसार कोविड 19 के बढऩे मामलों की वजह से राज्यों की ओर से कुछ कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। जिससे घरेलू विकास में थोड़ी बाधा पहुंचने के आसार बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में भी भारतीय रिज़र्व बैंक पर्याप्त तरलता के साथ बाज़ार का समर्थन करता रहेगा। उन्होंने कहा कि 50,000 करोड़ रुपए का ताजा ऋण सभी भारतीय वित्तीय संस्थानों को प्रदान किया जाएगा।
Updated on:
07 Apr 2021 10:50 am
Published on:
07 Apr 2021 08:36 am
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