सबसे बुरा हाल तो विदेशों से आए व्यापारियों का है। बांग्लादेश से आए अरिफुल इस्लाम ने मिली-जुली ङ्क्षहदी-बांग्ला में बताया कि भारत में जब उनका बैंक खाता ही नहीं है तो कार्ड स्वाइप मशीन या पेटीएम के लिए तो वे सोच भी नहीं सकते। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी वे आए थे। उस समय जहां एक-एक ग्राहक 10-20 हजार रुपए की खरीदारी करता था, वहीं इस बार पूरे दिन भर में बमुश्किल 10 हजार रुपए की बिक्री हो पा रही है। उन्होंने बताया कि जो लोग पुराने नोट देते हैं, उन्हें भी वे 20 फीसदी तक कमीशन देकर नए नोटों में बदलवाने को विवश हैं, क्योंकि यहां का कोई भी बैंक उनके नोट नहीं बदलेगा। उत्तर प्रदेश की पारंपरिक साडिय़ां लेकर यहां आए बुनकर अब्दुल हसन ने बताया कि अन्य वर्षों की तुलना में इस बार बिक्री आधी रह गई है।