Yes Bank Crisis : सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि अब 'भगवान' भी महीने में निकाल सकेंगे 50,000 रुपए
- जगन्नाथ पुरी मंदिर का 545 करोड़ रुपया यस बैंक में है जमा
- मंदिर के पुजारी और श्रद्धालु भी चिंता में, कार्रवाई की मांग
- विधि मंत्री ने कहा, बैंक में मंदिर का रुपया एफडी के रूप में जमा

नई दिल्ली। Yes Bank Crisis में सिर्फ आम इंसानों का ही रुपया नहीं बल्कि भगवान का रुपया भी फंस गया है। वो एक दो करोड़ रुपए नहीं बल्कि 545 करोड़ रुपए। जी हां, जगन्नाथ पुरी मंदिर का अरबों रुपया यस बैंक में जमा है। ऐसे में अब मंदिर भी आम लोगों की तरह एक महीने तक 50 हजार रुपए से ज्यादा नहीं निकाल पाएंगे। वहीं विधि मंत्री ने कहा है मंदिर का रुपए जमा खातों में बल्कि एफडी के रूप में है। वहीं मंदिर के पुजारियों ने मंदिर प्रबंधकों पर आरोप लगाया कि आखिर इतना रुपया प्राइवेट बैंक में जमा ही क्यों किया गया, वहीं लोगों पर कार्रवाई की मांग की। आपको बता दें कि सरकार ने गुरुवार को यस बैंक पर कार्रवाई करते हुए अपने अंडर में कर लिया और आरबीआई ने 50 हजार रुपए तक की छूट के साथ कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए।
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पुजारियों और संयोजकों में चिंता, कार्रवाई की मांग
जन्नाथ पुरी मंदिर के दैतापति विनायक दास महापात्रा के अनुसार आरबीआई के फैसले के बाद मंदिर के सभी पुजारी और सेवक काफी टेंशन में आ गए हैं। मंदिर के संयोजक ने मंदिर प्रबंधकों पर सवाल उठाए और कहा कि आखिर किसी प्राइवेट बैंक में मंदिर का रुपया क्यों जमा कराया। उन्होंने इसको गैरकानूनी और अनैनिक करार दिया। उन्होंने कहा कि थोड़े से ज्यादा ब्याज के लिए प्राइवेट में जमा कराकर मंदिर के रुपए को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया है। संयोजक और पुजारियों ने मंदिर प्रबंधकों पर जांच की मांग की और कढ़ी कार्रवाई करने को कहा है।
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पुलिस में भी की थी शिकायत
पुजारियों और संयोजक के अनुसार जब मंदिर का रुपया प्राइवेट बैंक में जमा कराया जा रहा था तब भी उनकी ओर से विरोध किया गया था। यहां तक कि इस पूरे मामले की जानकारी पुलिस को दी गई थी और मामले को दर्ज भी कराया गया था, लेकिन पुलिस की ओर से भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं दूसरी ओर विधि मंत्री प्रताप जेना ने बताया कि मंदिर का रुपया बचत खातों यानी सेविंग्स अकाउंट्स में नहीं जमा कराया गया है। बल्कि फिक्स्ड डिपोजिट के रूप में जमा कराया गया है। ऐसे में मंदिर और पुजारियों को चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है।
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