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फिरोजाबाद विकास प्राधिकरण: 10 साल में भवनों का नहीं कर सका आवंटन

वर्ष 2008 में शहर की आबादी से दूर जलेसर रोड पर गांव दौलतपुर में तैयार कराए गए थे एलआईजी भवन।

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फिरोजाबाद। मोदी सरकार की मंशा है कि हर वर्ग के लोगों के पास अपनी छत हो। कोई भी व्यक्ति खुले आसमान के नीचे जीवन यापन न करे। इसके लिए केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की गई। सरकार द्वारा विकास प्राधिकरण को अल्प और मध्यम वर्गीय लोगों को आवास आवंटन कराने के निर्देश दिए गए थे। फिरोजाबाद-शिकोहाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा भवन बनाने के लिए जगह भी चयनित कर ली और वहां भवन तैयार कराकर छोड़ दिए गए। विप्रा अधिकारियों की लापरवाही के चलते भवन आज तक लाभार्थियों को आवंटित नहीं किए जा सके हैं। 10 वर्ष पूर्व बने आवास आज खंडहर होने की दशा में हैं।

2008 में बने थे भवन

विकास प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2008 में शहर की आबादी से दूर जलेसर रोड पर गांव दौलतपुर में आवास योजना के तहत अल्प आय वर्ग के लिए 30 वर्ग मीटर के 32 एलआईजी भवनों का निर्माण कराया था। जिसकी अनुमानित राशि पांच से साढ़े पांच लाख रूपये रखी गयी थी। इसके बाद विभागीय अधिकारियों ने इसे बसाने में किसी भी प्रकार की कोई प्रयास नहीं किया। जिससे बिल्डिंग धीरे-धीरे छतिग्रस्त होना शुरू हो गयी। बताया जाता है कि विकास प्राधिकरण ने करीब 6 वर्ष बाद दौलतपुर आवास योजना को धरातल पर लाने के लिए अक्टूबर 2014 में शहर वासियों से आवेदन मांगे थे। इसके बाद लाटरी पद्धति द्वारा 17 दिसंबर 2014 को भवनों को आवंटित किया गया था।

आवंटियों को नहीं मिला कब्जा

आवंटी मनीष जैन ने बताया कि आवंटित होने के बाद भवन स्वामी भवनों पर कब्जा लेने एवं किस्तो की राशि व किश्तों के विवरण के लिए लगातार चक्कर काटते रहे लेकिन अधिकारियों द्वारा सिर्फ उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता था कि अभी तक वहां पानी, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। इसके बिना वहां रहना बहुत ही मुश्किल है। जिसे पूरा कराने के बाद ही सभी को भवनों पर कब्जा दिया जाएगा। कब्जा देने के बाद ही शेष अवशेष राशि को किश्तों के रूप में लिया जायेगा। रामवीर ने बताया कि आवंटियों द्वारा बार-बार किस्तों की राशि का विवरण मांगने पर विभाग द्वारा 27 अगस्त 2015 को पत्र जारी कर भवन की लागत मूल्य का पांच प्रतिशत धनराशि जमा कराने को निर्देशित करते हुए हमारे द्वारा मांगने पर किस्तों का विवरण दिया गया। आवंटियों द्वारा पांच प्रतिशत ध

धनराशि करा ली जमा फिर भी नही मिले भवन

आवंटी रामकुमार गुप्ता ने बताया कि करीब दो वर्ष बाद प्राधिकरण द्वारा 10 जुलाई 2017 को पुनः एक और पत्र भेजकर भवनों पर कब्जा देने से पूर्व 51 हजार की धनराशि जमा कराने व इसके बाद भवनों पर कब्जा देने को कहा गया। लेकिन आवंटियों द्वारा उक्त राशि जमा करने के बाद भी उन्हें भवनों पर कब्जा नहीं दिया गया। अधिकारियों द्वारा आश्वासन देते हुए कहा गया कि बिजली, पानी की व्यवस्था हो चुकी है, सड़क की व्यवस्था होने पर सभी को कब्जा दे दिया जाएगा। अमित ने बताया कि विकास प्राधिकरण में अधिशासी अभियंता के रूप में कप्तान सिंह की तैनाती होने के बाद उन्होंने आते ही 20 दिसम्बर 2017 को तुगलकी फरमान रूपी पत्र जारी करते हुए कहा कि सभी आवंटी अगस्त-2015 से अभी तक की सभी किस्तों की धनराशि को पहले जमा करायें। इसके बाद ही उन्हें भवनों पर कब्जा दिया जायेगा।

एक मुश्त कैसे जमा कराएं राशि

रामकुमार ने बताया कि विप्रा द्वारा मिले पत्र के मिलते ही किराये के मकानों में रहकर अपने परिवार का मुश्किलों से भरण-पौषण करने वाले आवंटियों के पैरों तले जमीन ही खिसक गयी है। आवंटियों का कहना है कि यह भवन अल्प आय वर्ग के लोगों के लिए है। अधिशासी अभियंता द्वारा मांगी गयी एक मुस्त किस्तों को कैसे जमा करा सकते हैं। वहीं विभाग दस वर्षो में उक्त योजना को अमली जामा नही पहना सका है। विभाग अपनी नाकामियों को आवंटियों पर थोपना चाहता है। वहीं बिल्डिंग काफी छतिग्रस्त हो चुकी है। सीवर लाइन चैक पड़ी हुई है। रामकुमार ने बताया कि उन्होंने नगर मजिस्ट्रेट, जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कहा गया कि यह भवन अल्प आय वर्ग के लिए है। अधिशासी अभियंता द्वारा एक मुस्त रकम मांगना गलत है। हम सभी तो इसे एक साथ जमा नहीं कर सकते हैं। विभाग अपनी नाकामियों को हमारे ऊपर थोपने का कार्य कर रहा है। फिर भी उनकी समस्या का समाधान ना होने पर मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई। जांच आने पर फरियादी को बिना सुने ही अधिकारियों ने शिकायतकर्ता की समस्या का समाधान न करते हुए उनकी शिकायत को निस्तारित करा कर अपना जबाब लखनऊ भेज दिया।