scriptVIDEO यहां की होली है खास, मुस्लिम के फाग पर भाईचारे का चढ़ता है रंग | Holi Song by Munne khan for Communal Harmony | Patrika News

VIDEO यहां की होली है खास, मुस्लिम के फाग पर भाईचारे का चढ़ता है रंग

locationफिरोजाबादPublished: Feb 28, 2018 07:09:44 pm

धीरपुरा गांव में हिन्दू-मुस्लिम मनाते हैं होली का पर्व। कई साल पुरानी परंपरा को जीवित किए हैं लोग।

Holi 2018
फिरोजाबाद। वो खुदा के नेक बंदे हैं, लिहाजा खुशियों के त्यौहार उनके लिए धर्म से नहीं बंधे। होली के रंगों में उन्हें धर्म नजर नहीं आता। 57 बसंत देख चुके मुन्ने खां उर्फ मुन्नालाल की आवाज से धीरपुरा की होली अपने सद्भाावना के रंग बिखेर रही है। पांच वक्त की नमाज अता करने के बावजूद वह मंगलवार को हनुमान मंदिर जाना नहीं भूलते।

सद्भावना के रंग बिखेर रहा मुस्लिम

एक ओर जहां दूषित मानसिकता के चलते कासगंज जैसे दंगे हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर एक खुदा का नेक बंदा समाज में सद्भावना के रंग बांट बिखेर रहा है। प्राचीन होली की परंपरा को जीवित रखने के साथ ही गंगा-जमुनी सभ्यता को भी बनाए हुए हैं। तहसील क्षेत्र के गांव धीरपुरा निवासी मुन्ने खां उर्फ मुन्नालाल की गीतों की होली के बिना रंग भी बेरंग नजर आते हैं। हर वर्ष धीरपुरा में दौज के दिन होली का आयोजन किया जाता है। जिसमें शामिल होने के लिए करीब दो दर्जन आस-पास गांवों के लोगों शामिल होने आते हैं। होली के गीत, रसिया, ढोला और लावनी गाकर एक दूसरे को होली की बधाई देते हैं।
होली गुरू हैं मुन्ने खां

वहीं होली गुरू बने मुन्ने खां सर्व समाज के लोगों को होली के गीत सिखाने का काम करते हैं। इनके द्वारा प्रसिद्ध रसिया ‘इस दिन अकेली क्यों ठाड़ी’ व गीत ‘पुत्र गणेश मनावें राखों मेरी लाज्यट के अलावा लावनी ‘बय दे रे चंदन बिरवा्यट से क्षेत्रवासियों में सद्भावना की अलख जगाते हैं।

द्वेष भावना को दूर करते हैं

मुन्ने खां कहते हैं चुनाव के दौरान लोगों में फैली द्वेष भावना को होली के माध्यम से दूर किया जा सकता है। सभी को मिलकर त्योहार मनाने चाहिए। मिलकर त्योहार मनाने से त्योहार का आनंद भी दो गुना हो जाता है। मंदिर जाने से क रंग लगने के बाद न कोई हिन्दू होता है और न ही मुसलमान। वह मंगलवार को हनुमान मंदिर पर भजन करने जाते हैं। वह अन्य ग्रामीणों को भी अपना हुनर बांटते हैं।
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