
anupam
फिरोजाबाद। दोस्ती का नाम जुबां पर आते ही लोगों के दिलों की धड़कनें तेज हो जाती हैं। चेहरे पर अलग मुस्कान और दोस्त की सलामती की दुआ मांगने के लिए हाथ आगे बढ़ जाते हैं। दोस्ती को लेकर महिला शक्ति के लिए काम करने वाली अनुपम शर्मा ने अपने जीवन से जुड़ी कुछ यादगारों को पत्रिका के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि दोस्ती के लिए क्या कुछ किया जा सकता है।
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दोस्त के पिता को बचाया, अपने पिता की चली गई जान
उन्होंने बताया कि उनके दो सबसे अच्छे दोस्त हैं। इनमें एक मयंक और दूसरा रसप्रीत। एक बार का वाक्या बताते हुए उन्होंने कहा कि वह ससुराल में थीं। उनके पिता की तबियत खराब हो गई। उन्होंने अपने दोस्त को फोन करके बताया। वह अपनी गाड़ी से मेरे पिता को आगरा अस्पताल ले गया। तभी उसके घर से फोन आया कि मयंक के पिता की तबियत हो गई है। मेरे पिता के पास कोई नहीं था, इसलिए वह उन्हें छोड़कर नहीं गया। इलाज न मिल पाने के कारण मयंक केे पिता का देहांत हो गया था। उसकी दोस्ती आज भी मुझे याद है और आगे भी रहेगी। उसने दोस्ती के पीछे अपने पिता को गवां दिया।
ऊंचाइयों तक ले जाता है दोस्त
वह बताती हैं कि एक अच्छा दोस्त ऊंचाइयों तक ले जाने का काम करता है। दोस्त यदि निस्वार्थ भाव से दोस्ती निभाता है तो उससे अच्छा व्यक्ति इस संसार में कोई दूसरा नहीं है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगी कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक अच्छा और सच्चा दोस्त अवश्य मिले। दोस्त जीवन के सारे संकट दूर करने में सहायक होता है। मां और पिता भी अच्छे दोस्त साबित हो सकते हैं। यदि प्रारंभ से ही दोस्ती की तरह जीवन को जिया जाए।
Updated on:
05 Aug 2018 08:56 am
Published on:
05 Aug 2018 08:54 am
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