सिपाही देवेन्द्र पाल सिंह ने तो हद कर दी। वह अपने सेवाकाल में 2830 दिन ड्यूटी से बिना बताए गायब रहा। उसने इस तरह की हरकत 37 बार की। वह 1979 में भर्ती हुआ था। उसकी चरित्र पंजिका में 16 बार प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज है और इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ। सरकार के सख्त निर्देश मिलने के बाद उसे रिटायर कर दिय गया।
फिरोजाबाद से घर भेजे गए कांस्टेबल राजवीर सिंह वर्ष 1982 में पुलिस में भर्ती हुए थे। पूरे सेवाकाल में उन्हें चार परिनिंदा, चार अर्थदंड, तीन न्यूनतम वेतन दिया गया। यह पांच बार में कुल 423 दिन अनुपस्थित रहे। इनके विरुद्ध थाना एत्माद्दौला में मुकदमा भी दर्ज था। ऐसे पुलिसकर्मियों के विरुद्ध योगी सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए इन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया।
फिरोजाबाद के ही देवेन्द्र पाल सिंह वर्ष 1981 में भर्ती हुए थे। सेवाकाल में इनकी चरित्र पंजिका में 11 प्रतिकूल प्रविष्टि, छह अर्थदंड मिले। 38 बार में 1720 दिन अनुपस्थित रहे। वर्ष 2017 में वार्षिक गोपनीय मंतव्य खराब होने के कारण इन्हें घर भेज दिया गया था। इसके बाद भी अन्य पुलिसकर्मियों ने सीख नहीं ली। पुलिस महकमे में नौकरी बदस्तूर जारी रखे रहे।
फिरोजाबाद के ही राजपाल सिंह वर्ष 1985 में पुलिस में भर्ती हुए। पूरे सेवाकाल में चार परिनिंदा लेख, तीन आर अर्थदंड मिला। साथ ही 24 बार में कुल 1010 दिन अनुपस्थित रहे और 16 परिनिंदा लेख करेक्टर रोल में दर्ज हुआ था। पुलिस महकमे में हुई इस कार्रवाई से खलबली मची हुई है। विभाग अब ऐसे पुलिसकर्मियों की तलाश कर रहा है जिनका रिकार्ड खराब रहा है। इस मामले में एसएसपी सचिन्द्र पटेल का कहना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्त उन पुलिसकर्मियों को दिया जा रहा है जो अपने कार्य को बखूबी से नहीं करते।