
Peanut
Peanut: मूंगफली को गरीबों की बदाम कहा जाता है लेकिन जब यही बादाम आपको और गरीबी में ढकेलने का काम करें तो आप को सुन कर कैसा लगेगा। जी हाँ एक शोध में पता चला है कि मूंगफली (peanut) के सेवन से एलर्जी की समस्या पनप सकती है।
मक्खन या किसी अन्य सामग्री के रूप में मूंगफली (peanut) का सेवन आपकी दम घूटने की समस्या को बढ़ा सकता है। यदि हम इनके साथ इसका सेवन करते हैं तो हमें एलर्जी समस्या हो सकती है।
मूंगफली की एलर्जी होने पर यह जानलेवा भी हो सकती है। इसका मुख्य कारण एनाफिलैक्सिस है। एनाफिलैक्सिस कारण होंठ और जीभ में सूजन, और रक्त संचार में कमी, रक्तचाप में नाटकीय गिरावट और सांस लेने में कठिनाई हो जाती है। जिन लोगों में ऐसी ऐसी समस्या दिखती है उनको दवाईं के रूप में एड्रेनालाईन की आपातकालीन खुराक की दी जाती है।
यू.के. में हर साल लगभग 10 लोग खाद्य एलर्जी से मरते हैं - लेकिन इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक नए अध्ययन से संकेत मिलता है कि एलर्जी अब अपेक्षाकृत आम हो गई है। शोधकर्ताओं ने लाखों जीपी रिकॉर्ड खोजे, ताकि पता चल सके कि एलर्जी रोगियों के लिए एक समस्या थी, और पाया कि 2008 में 0.4% रोगियों से 2018 में 1.1% तक रिपोर्ट में वृद्धि हुई है। 2018 में, सबसे अधिक रिपोर्ट 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में थीं, जिनमें से 4% को खाद्य एलर्जी थी।
अध्ययनों ने यह अनुमान लगाया कि एलर्जी से बचने के लिए मूंगफली (peanut) से परहेज करना समझदारी है उन्होंने पूछा कि क्या यह परहेज वास्तव में चीजों को और खराब कर सकता है। इसलिए उन्होंने यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षणों की एक श्रृंखला की - कारण और प्रभाव को सुलझाने का एक शक्तिशाली तरीका। यह देखते हुए कि जब उन्होंने अध्ययन किया था, तो पिछले दशक में पश्चिमी देशों में मूंगफली की एलर्जी दोगुनी हो गई थी, उन्होंने 640 शिशुओं को लिया जिन्हें गंभीर एक्जिमा या अंडे की एलर्जी थी, और जो मूंगफली की एलर्जी विकसित होने के उच्च जोखिम में थे। उन्होंने बच्चों को दो समूहों में विभाजित किया, जिसमें से एक समूह को मूंगफली से परहेज जारी रखने के लिए कहा गया और दूसरे को उन्हें खाने की सलाह दी गई।
एक अन्य शोध में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि ब्रिटेन में पले-बढ़े यहूदी बच्चों में मूंगफली से एलर्जी होने का जोखिम इजरायल में पले-बढ़े यहूदी बच्चों की तुलना में 10 गुना अधिक था - जहां 1 वर्ष की आयु से पहले बच्चों के आहार में मूंगफली नियमित रूप से शामिल होती है। यह स्पष्ट रूप से दिलचस्प है, लेकिन इससे कारण और प्रभाव साबित नहीं होता है, यही कारण है कि एक दशक पहले ब्रिटेन में किए गए अध्ययनों की श्रृंखला यह समझने के लिए महत्वपूर्ण है कि क्या हो रहा है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Published on:
02 Sept 2024 12:42 pm
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