विजेता को मिलती है नकली ट्रॉफी
जी हाँ आपने सही सूना वर्ल्ड कप का खिताब जीतने वाली टीम को असली ट्रॉफी प्रदान तो की जाती है लेकिन जश्न खत्म होने के ठीक बाद फीफा असली ट्रॉफी वापस लेकर अपने पास रख लेता है। इसके बदले में वर्ल्ड कप ट्रॉफी की नकल (रैप्लिका) देता है। इस ट्रॉफी की कीमत भी असली वाली ट्रॉफी की तुलना में काफी कम होती है।ऐसा ही इस बार रूस में हुई फीफा के 21 वें संस्करण में हुआ, फ्रांस को जो ट्रॉफी मिली वो असली नहीं बल्कि नकली है ।
आपको बता दें ट्रॉफी का इतिहास
वर्ल्ड कप के इतिहास में आज तक सिर्फ दो ट्रॉफी का इस्तेमाल हुआ है। साल 1930 मे हुए पहले वर्ल्ड कप से लेकर 1970 वर्ल्ड कप तक जूल्स रिमे ट्रॉफी का इस्तेमाल हुआ। इस ट्रॉफी का असल नाम विक्ट्री था, जोकि ग्रीक देवी ‘विक्ट्री’ के नाम पर रखा गया था। ये ट्रॉफी चांदी की बनी हुई थी जिसके ऊपर गोल्ड प्लेटिंग थी।विक्ट्री ट्रॉफी को फ्रांस के शिल्पकार एबेल लाफलर ने बनाया था। साल 1946 में इस ट्रॉफी का नाम बदलकर फीफा के पहले अध्यक्ष जूल्स रिमे के सम्मान में रख दिया गया। जूल्स रिमे ने ही फीफा वर्ल्ड कप नींव रखी थी।1966 का वर्ल्ड कप इंग्लैंड में आयोजित होना था लेकिन इससे चार महीने पहले ही ज़ूल्स रिमे ट्रॉफ़ी लंदन के वेस्ट मिनिस्टर के सेंट्रल हॉल से ग़ायब हो गई। हालाँकि 7 दिन बाद में लंदन के एक गॉर्डन से यह ट्रॉफ़ी बरामद हुई, जिसे एक पिकल्स नाम के कुत्ते ने खोजा था। बाद में पिकल्स और उसके मालिक को फीफा समेत कई संस्थानों ने सम्मानित किया।