
Gariaband News Today: आदिवासी ब्लॉक मैनपुर बुनियादी सुविधाओं को मोहताज है। चंद दिनों पहले इसी से खफा राजापड़ाव क्षेत्र के लोगों ने चुनाव बहिष्कार कर दिया था। तब प्रशासन ने मान-मनौव्वल कर उनसे वोट डलवाया। चुनाव निपटते ही इन्हें भूल गए। गर्मी के दिनों में लोग बिजली, पानी से परेशान थे। बारिश के दिनों में मौसमी परेशानियों ने जीना मुश्किल कर दिया है। इलाके में लगभग हर दूसरे घर में सर्दी-खांसी के मरीज हैं। मलेरिया का प्रकोप भी इलाके में तेजी से बढ़ रहा है।
स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो 1.45 लाख की आबादी वाले पूरे मैनपुर ब्लॉक में गिनती के 5 डॉक्टर हैं। यानी 29000 लोगों की जांच और इलाज के लिए एक डॉक्टर। बताते हैं कि ब्लॉक में डॉक्टरों केे 10 पद मंजूर हैं। 5 पदों पर कभी भर्ती ही नहीं हुई। इधर, कनेक्टिविटी का भी बुरा हाल है। हल्की बारिश से बरसाती नाले उफान पर आ जाते हैं।
ऐसे में अगर यहां कोई बीमार हो जाए तो गांव के लोग खाट को उल्टा कर मरीज को लिटाते हैं। फिर उसे उठाकर नाला पार करवाते हुए मेन रोड पहुंचाते हैं। कितनी भी इमरजेंसी क्यों न हो? इलाज के लिए सभी को पहले इस संकट का सामना करना पड़ता है। ब्लॉक के शोभा, गोना इंदागांव, साहेबिन, गरीबा, गौरगांव कुचेंगा जैसे इलाके तो ऐसे हैं जहां लोगों के लिए इलाज के लिए ओडिशा जाने के अलावा दूसरा कोई रास्ता ही नहीं है।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 23 साल बाद भी ये लोग इलाज के लिए ओडिशा के धरमगढ़, रायगढ़ पर निर्भर हैं। जो लोग खर्च नहीं उठा सकते, वे स्थानीय बैगा-गुनिया का सहारा लेते हैं। झाड़-फूंक की वजह से भी इलाके में कई जानें जा चुकी हैं।
Updated on:
18 Jul 2024 12:21 pm
Published on:
18 Jul 2024 12:20 pm
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