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पड़ोसी राज्य को जंगल और जमीन बेच रहे छत्तीसगढ़ के वन अधिकारी, ग्रामीणों ने मंत्री से लगाई न्याय की गुहार

locationगरियाबंदPublished: Oct 08, 2019 05:38:04 pm

Submitted by:

CG Desk

ग्रामीणों के पास है साक्ष्य, सागौन के वृक्षों को काटने और बेचने का लगाया आरोप।

पड़ोसी राज्य को जंगल और जमीन बेच रहे छत्तीसगढ़ के वन अधिकारी, ग्रामीणों ने मंत्री से लगाई न्याय की गुहार

पड़ोसी राज्य को जंगल और जमीन बेच रहे छत्तीसगढ़ के वन अधिकारी, ग्रामीणों ने मंत्री से लगाई न्याय की गुहार

गरियाबंद . पेड़ काटने को लेकर देश सहित छत्तीसगढ़ में भी भारी विवाद का माहौल बना हुआ है। जिनके हाथों में वन और वन्यजीवों की रक्षा करने की जिम्मेदारी थी। उन पर ही वनों को उजाड़ने के गंभीर आरोप लग रहे हैं।ग्रामीण क्षेत्रों के रहवासी अब शिकायत लेकर सीधे प्रदेश के मंत्री के द्वार पहुचें हैं। उन्होंने जंगल को पड़ोसी राज्य उड़ीसा के निवासियों को अधिकारयों के द्वारा बेचने और उन्हें संरक्षण देकर बेशकीमती वृक्षों (सागौन) के वनों को कटवाने का आरोप लगाया है।

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जिम्मेदारों पर ये बेहद संगीन आरोप और कोई नहीं बल्कि क्षेत्र के ग्रामीण लगा रहे हैं। ग्राम पंचायत धनौरा-पिपलखुंटा के ग्रामीणों ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर को लिखित में शिकायत दी है। जिसमें वन विभाग के रेंजर नीलकंठ गंगवेर और उनके अधीनस्थ कर्मचारियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने धुरवा गुड़ी इंदागांव रेंज के 1204 और 1206 को उड़ीसा के नागरिकों को बेच दिया है जिन्होंने कई हेक्टेयर क्षेत्र में लगे सागौन के वृक्षों को काट दिया गया है। ग्रामीणों ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनके पास इसके प्रमाण भी मौजूद हैं।

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ग्रामीणों का कहना है कि वो राजपुर, हल्दीकछार, पुरीपत्थरा, कुसुमकरिया के अपने जंगल और जमीन को बचाना चाहते हैं। शिकायत में कहा गया है कि ग्रामीणों ने जंगल को काटने और जमीन बेचने की शिकायत फारेस्ट के वरिष्ठ अधिकारियों को भी कर चुके हैं लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा है। उड़ीसा बार्डर में फारेस्ट वाले जंगल और जमीन को बेच रहे हैं।

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परिक्षेत्र अधिकारी इंदागांव मैनपुर एवं रेंजर व उसके अधिनस्थ कर्मचारी एव डीपो. गरियाबंद ही मिलीभगत कर अंजाम दे रहे हैं। वन मंत्री से ग्रामीणों ने गुहार लगाई है कि वे वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से तत्काल निरिक्षण और जांच करवाएं। ग्रामीणों ने कहा है कि राष्ट्र की संपत्ति हमारे जंगलों और जमीनों की रक्षा के लिए हम तैनात हैं।

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