मॉक ड्रिल प्रदर्शन के लिए डेम के पास ही बाढ़ आपदा प्रशिक्षण शिविर भी लगाया गया था। जहां सैद्धांतिक प्रशिक्षण एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया। शिविर में अपर कलेक्टर केके बेहार, संयुक्त कलेक्टर अमृतलाल ध्रुव, राजिम, छुरा, गरियाबंद और देवभोग के तहसीलदार, जनपद सीईओ, रक्षित निरीक्षक उमेश राय और बाढ़ आपदा की संभावना वाले अनेक गांव के लोग शामिल हुए। इस अवसर पर अपर कलेक्टर केके बेहार ने कहा कि जिले में बाढ़ से प्रभावित होने की संभावना वाले गांवों की सूची बनाकर बाढ़ से बचाव के लिए योजना बनाई गई है। जरूरत पडऩे पर बाढ़ आपदा प्रभावित बसाहटों को सुरक्षित स्थान में ले जाने, आवश्यक दवाइयां, कंबल, खाद्य सामग्री की अग्रिम व्यवस्था की गई है।
संभावित बाढ़ वाले 85 चिन्हांकित गांव के पीडीएस दुकान में खाद्य सामग्रियों का अग्रिम भंडारण किया गया है। उन्होंने आकाशीय बिजली गिरने से होने वाले नुकसान एवं उससे बचने के उपाय भी बताये। संयुक्त कलेक्टर अमृतलाल ध्रुव ने कहा कि बाढ़ आने पर ग्रामवासियों को ऊंचे और सुरक्षित स्थान पर जाना चाहिए। कई बार ग्रामीण बाढ़ आने पर ही अपने गांव से नहीं हटना चाहते। पर जीवन की सुरक्षा के लिए बाढग़्रस्त स्थान से सुरक्षित स्थान में जाना अत्यंत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा से निपटने के लिए हमेशा मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए और आपदा से बचाव के लिए सभी को मिलकर कार्य करना चाहिए। ग्रामीणों को बताया गया कि बाढ़ आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि संयम बरतते हुए उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करते हुए इससे निपटने का प्रयास करें। बाढ़ जैसी स्थिति में सबसे पहले कोटवार और ग्राम पटेल तथा संबंधित थाना और पटवारी को जानकारी दें ताकि बचाव के लिए जल्द से जल्द कार्यवाही शुरू की जा सके।