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CG News: शहर में तेंदुए लगातार अपनी धमक दर्ज करवा रहे हैं। डेढ़ साल में ही इन्हें शहर के एक-डेढ़ किमी के दायरे में 8 से 10 बार देखा जा चुका है। मंगलवार की रात तो एक तेंदुआ पुलिस कप्तान निखिल राखेचा के घर तक पहुंच गया। पुलिस लाइन से लगे एसपी बंगलो में जवानों ने जब तेंदुए को बाउंड्रीवॉल फांदकर अंदर घुसते देखा, तो तुरंत शोर-शराबा मचाया। कुछ ही देर में वन अमला भी मौके पर पहुंच गया। भीड़ देखकर तेंदुआ वहां से भाग गया, लेकिन आबादी वाला इलाका होने से लोग अब अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
गरियाबंद में तेंदुए की बढ़ती धमक पर पत्रिका ने वन्य जीवों से बात की। 2 बातें निकलकर आईं। पहला शहर का गार्बेज मैनेजमेंट सिस्टम। दूसरा तेंदुओं को टॉफी की तरह पसंद डॉगी। अभी एसपी बंगलो में जहां तेंदुआ पहुंचा था, उसी इलाके के करीब पूरे शहर का कचरा डंप होता है। वन्य जीवों की मानें तो घरों से निकलने वाला बासी खाना, बाजारों की बची-खुची सब्जियां और मुर्गा-मटन की दुकानों से निकलने वाले अवशेष एक जगह इकट्ठा हों, तो जानवर यहां आसान भोजन की तलाश में आ सकते हैं।
अभी गरियाबंद में रोज के कचरे को समूह द्वारा प्रोसेस कर रिसाइकिल तो किया जा रहा है, लेकिन इस सिस्टम में सुधार की जरूरत है। सबसे पहले तो कचरा डंप करने की इस जगह पर ही दोबारा विचार करने की जरूरत है क्योंकि तकरीबन 7 साल पहले जब यह प्रोजेक्ट आया था, तब से अब तक शहर की आबादी बढ़ी है। कुछ और साल ऐसा ही रहा, तो कचरा डंपिंग यार्ड के ही चारों ओर बस्तियां बस जाएंगी। स्वस्थ और सुंदर बसाहट की लिहाज स्रे यह सही नहीं है।
मंगलवार रात तेंदुए को एसपी बंगलो के अलावा जिला पंचायत के कार्यालय में भी उछलकूद करते देखा गया था। अफसरों की मानें तो शहर के भीतर इस तेंदुए को पहली बार देखा गया है। वह करीब 4 साल का है। कर्मचारी लगातार गश्त कर उसकी मूवमेंट पर नजर बनाए हुए हैं। दिन ढलते ही टीम को शहर के सरहदी इलाकों में सर्च के लिए भेजा जा रहा है।
बुधवार की शाम भी एक टीम सर्चिंग पर निकली थी। वहीं लोगों से भी अपील की जा रही है कि दिन ढलने के बाद जंगल वाले इलाकों की ओर जाने से बचें। खासकर बच्चों को लेकर ज्यादा एहतियात बरतने की हिदायत दी जा रही है। युवाओं से भी कहा गया है कि वे दिन ढलने के बाद आउटर वाने इलाकों में जाने से बचें क्योंकि अभी इसमें रिस्क है।
शहर तक तेंदुओं की धमक की दूसरी बड़ी कारण आवारा श्वान हो सकते हैं। ढाई-तीन महीने पहले तब एक तेंदुए को शहर में देखा गया था, तो पैरी कॉलोनी समेत आसपास के इलाकों से डॉग गायब होने लगे थे। सांई मंदिर के पास व्यापारी पूनम देवांगन के घर में लगे सीसीटीवी में तेंदुआ एक डॉग का शिकार करते कैद भी हुआ था। पत्रिका से बातचीत में वन्य जीवों के जानकार नितिन सिंघवी कहते हैं कि बच्चों को जैसे टॉफी पसंद होती है, उसी तरह तेंदुओं को डॉगी पसंद हैं। यही वजह है कि तेेंदुओं द्वारा श्वानों का शिकार करने की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं।
Published on:
16 Jan 2025 01:49 pm
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