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छत्तीसगढ़ में मंकीपॉक्स का खतरा! स्वास्थ्य विभाग ने जारी की गाइडलाइन, लैब भी हैं लेकिन जांच की किट ही नहीं

Monkeypox in Chhattisgarh: दूसरे राज्यों के भरोसे जांच: कोरोना में भी तीसरी लहर के बाद प्रदेश में शुरू हुई थी जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा

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Monkeypox in Chhattisgarh: रायपुर. स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट के साथ मंकीपॉक्स को लेकर गाइड लाइन जारी कर दी है।। एक संदिग्ध मरीज भी सामने आ चुका है। एम्स, रायपुर मेडिकल कॉलेज के अलावा प्रदेश में सरकारी-निजी लैब की सुविधा होने के बावजूद जांच किट नहीं होने से मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों की जांच नहीं हो रही है।

संदिग्ध मरीज हो चुका है रिकवर
आंबेडकर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में संदिग्ध मरीज को रखा गया है, जो ठीक हो चुका है। डॉक्टर का कहना है कि संभवत: सोमवार तक उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम ने बताया, बालक पूरी तरह से ठीक है। बस रिपोर्ट का इंतजार है, अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आता है तो उसे 21 दिन रखा जाएगा। अगर निगेटिव आता है, तो उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।

राजधानी में मंकीपॉक्स संदिग्ध बालक आंबेडकर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रिपोर्ट के इंतजार में है। अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक स्केबीज से पीड़ित बच्चा पूरी तरह से ठीक है। उसके घाव भी सूख गए हैं, लेकिन इसके बाद भी उसे यहां से इसलिए नहीं जाने दिया जा रहा है, क्योंकि उसके मंकीपॉक्स की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। रिपोर्ट कब तक मिलेगी, इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं हैं। अगर इसकी जांच की सुविधा राजधानी में होती तो जांच रिपोर्ट एक से दो दिनों में मिल जाती। कोरोना के शुरुआती दिनों में 5 फीसदी सैंपल और बाद में ओमिक्रॉन जैसे गंभीर वायरस की जांच के लिए सैंपल दूसरे राज्य भुवनेश्वर भेजे जा रहे थे। कोरोना की तीनों लहर खत्म होने के बाद करीब डेढ़ महीने पहले ही एम्स रायपुर में जिनोम सिक्वेंसिंग की जांच की मान्यता मिली है। देश के साथ ही अब प्रदेश में कई तरह के वायरस सामने आ रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भी यहां है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को प्रदेश में हर प्रकार के वायरस की जांच की सुविधा शुरू करनी चाहिए, ताकि वह दूसरे राज्यों पर निर्भर न रहे।

...तो एम्स में शुरू हो जाएगी जांच
एम्स रायपुर को डेढ़ महीने पहले ही 17 जून को जीनोम सिक्वेंसिंग (डब्ल्यूजीएस) की जांच के लिए मान्यता मिली है। इसकी जांच के लिए यहां नेक्स्ट जनरेशन सिक्वेंसिंग (एनजीएस) लैब बना हुआ है। लैब के साथ ही एम्स में डॉक्टरों की उपलब्धता है। कोरोना महामारी जब शुरू हुई थी तो बहुत कम आरटीपीसीआर हो पा रही थी। इसके लिए बाद में किट उपलब्ध हुई तो सबसे पहले एम्स से इसकी जांच की शुरुआत हुई। मंकीपॉक्स के लिए जांच किट मिलते ही यहां भी सैंपलों की जांच होने लगेगी।

आईसीएमआर से अप्रूवल के बाद जांच शुरू
मंकीपॉक्स की जांच के लिए किट उपलब्धता जरूरी है। लैब के साथ ही एम्स में सारे संसाधन हैं। किट मिलने पर यहां इसकी जांच शुरू कर दी जाएगी। हमारा लैब आईसीएमआर के अंतर्गत आता है। अगर वहां से अप्रूवल मिलता है और जांच किट उपलब्ध कराई जाती है तो जांच शुरू हो जाएगी।
- डॉ. नितिन एम. नागरकर, डायरेक्टर एम्स

जांच के लिए देश में हैं 15 लैब
मंकीपॉक्स के केसेस प्रदेश में है ही नहीं तो ऐसे में वर्तमान में इसके लैब की आवश्यकता नहीं है। देश में इसकी जांच के लिए 15 लैब हैं। राजधानी में मिले संदिग्ध बालक का सैंपल पुणे के लैब में भेजा गया है।
- डॉ. सुभाष मिश्रा, संचालक कोरोना महामारी नियंत्रण


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