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ट्रिपल इंजन अधिकार… तृतीय श्रेणी कर्मचारी को राजपत्रित अफसरों वाले तीन पोस्ट दे दिए

CG News: जिले के आला अफसर एक तृतीय वर्ग कर्मचारी पर इतने मेहरबान हैं कि अधिकारियों वाले तीन बड़े पदों की जिमेदारी उसे एकसाथ थमा दी।

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CG News

गरियाबंद जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय

गौरव शर्मा. गरियाबंद जिले में ट्रिपल इंजन सरकार के साथ ट्रिपल इंजन अधिकार भी चल रहा है। ( CG News ) यहां जिले के आला अफसर एक तृतीय वर्ग कर्मचारी पर इतने मेहरबान हैं कि अधिकारियों वाले तीन बड़े पदों की जिमेदारी उसे एकसाथ थमा दी। वो भी तब, जब इन पदों पर केवल राजपत्रित अधिकारियों की नियुक्ति होनी है। उससे भी बड़ी बात ये कि मामले में शिकायत के बाद जांच तक बैठी, फिर भी अफसरों के कानों में जूं न रेंगी।

CG News: नियम विरुद्ध तरीके से हुआ काम

दरअसल, सरकार के नियमों के मुताबिक राज्य के 85 अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में जनपद सीईओ, जिला पंचायत उप संचालक और जिला अंकेक्षण अधिकारी के तौर पर केवल राजपत्रित अधिकारियों की नियुक्ति की जानी है। ( CG News ) मूल रूप से मैनपुर में सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी के तौर पर पदस्थ टीएस नागेश तृतीय वर्ग कर्मचारी हैं। 3 साल पहले उन्हें नियम विरुद्ध तरीके से देवभोग जनपद सीईओ बनाकर भेज दिया गया।

अराजपत्रित अधिकारी को इतनी बड़ी जिमेदारी देने के मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि प्रशासन को आनन-फानन में नागेश को वापस मैनपुर में उनके मूल काम पर भेजना पड़ा। करीब डेढ़ साल पहले जिला अंकेक्षण अधिकारी का पद खाली हुआ, तो अफसरों ने उन्हें यह पद दे दिया। इसके बाद गरियाबंद जनपद में सीईओ रहीं डिप्टी कलेक्टर अंजलि खल्को को तहसीलदार बनाकर फिंगेश्वर भेजा गया, तो तृतीय वर्ग कर्मी नागेश को इस कुर्सी पर बिठा दिया गया। अयोग्य व्यक्ति को जिला पंचायत में उप संचालक बनाने भी इसी तरह का खेला किया गया।

ऐसा नहीं है कि विभागों में काम के लिए दूसरे योग्य अफसर नहीं हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की ओर से इसी साल 11 अप्रैल को जारी सर्कुलर पर गौर करें तो स्पष्ट निर्देश हैं कि अनुसूचित क्षेत्रों में जनपद सीईओ राजपत्रित अधिकारी ही होंगे। योग्य अफसर न मिलने पर सहायक विस्तार अधिकारी को पदेन सीईओ का प्रभार देना तय किया गया है। यह भी संभव न हो, तो सरकार के प्रमुा सचिव की मंजूरी के बाद ही किसी अराजपत्रित अधिकारी को जनपद सीईओ बनाने की बात कही गई है। गरियाबंद के खटलंग अफसरों ने इस सर्कुलर को भी धत्ता बताते हुए अयोग्य को बड़े पदों पर बिठा दिया।

जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने अयोग्य कर्मचारी को अफसराें के तीन बड़े पदों पर बिठाने और भ्रष्टाचार को लेकर कलेक्टर से शिकायत की थी। जांच भी हुई। रिपोर्ट आने के बाद से पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। संजय कहते हैं कि नागेश जनप्रतिनिधियों की बातों को नजरअंदाज करता है। सीनियर्स की बातें भी नहीं सुनता। इलाके के विकास के लिए हमने हाल ही में 15वें वित्त की राशि के तहत काम करवाने की बात कही। नागेश ने इतने नियम फंसा दिए कि हमारे सारे जरूरी काम अटक गए। राशि भी इतनी कम मंजूर करवाई, जो ऊंट के मुंह में जीरा समान है।

तीन अलग भूमिकाओं में ऐसे भ्रष्टाचार से नाता…

आरटीआई और पंचायती राज की किताबें भेजकर पैसे मांगे

जनपद सीईओ के तौर पर भी नागेश के किस्से कम नहीं हैं। बताते हैं कि हाल ही में गरियाबंद जनपद की सभी पंचायतों को पंचायती राज अधिनियम और सूचना का अधिकार (आरटीआई) की किताबें भेजी गई हैं। बाद में पंचायतों से इन किताबों के बदले साढ़े 3 से 4 हजार रुपए का भुगतान करने की बात कही गई। इसके टेक्निकल पॉइंट पर जाएं तो ग्राम पंचायतें किताबें खरीदने के लिए सक्षम हैं। जरूरत पड़ने पर इतनी राशि वे खुद भी खर्च कर सकती हैं। बताते हैं कि किताबों के इस सप्लाई में मंत्रालय स्तर का जैक-जुगाड़ काम कर रहा है। मंत्रालय के अफसर के इशारों पर लाट में किताबें खरीदी गईं। जाहिर है कि ऐसे कामों में कमीशन भी मोटा होता है।

ऑडिट के नाम पर प्रत्येक पंचायत से 15-20 हजार रुपए की वसूली

प्रभारी जिला अंकेक्षण अधिकारी के तौर पर भी नागेश पर आर्थिक अनियमितता करने के आरोप हैं। इस पद पर उनके पास सभी ग्राम पंचायतों में होने वाले कार्यों का ऑडिट करने की जिमेदरी है। साफ-सरल शब्दों में समझें तो हिसाब-किताब। पूरे गरियाबंद जिले में 336 ग्राम पंचायतें हैं। कई सरपंचों ने खुलकर शिकायत की है कि नागेश के संरक्षण में ऑडिट करने वालों का पूरा गिरोह काम कर रहा है। ये गिरोह थोड़ी भी गड़बड़ी मिलने पर सरपंच और सचिवों पर दबाव बनाता है कि उन्हें 15 से 20 हजार रुपए का चढ़ावा चढ़ाएं। मना करने पर ऑडिट रिपोर्ट में गड़बड़ी दिखाने के साथ सत कार्रवाई की बात कहते हुए उन्हें धमकाया भी जाता है।

सचिवों के तबादले में जमकर मनमानी, जमकर कटा बवाल

अफसर बनाकर बिठाए गए कर्मचारी के कारनामों की फेहरिस्त भी कम लंबी नहीं है। इसी साल मई-जून के बीच पंचायत सचिवों के तबादले को लेकर खूब बवाल कटा। आरोप लगे कि पंचायत में तबादले के पीछे पूरा रैकेट काम कर रहा है, जो पैसों का लेन-देन कर सचिवों को मनमानी पोस्टिंग दे रहा है। उदाहरण के तौर पर मैनपुर के गोपालपुर पंचायत में पदस्थ त्रिलोक नागेश को जिला पंचायत में अटैच कर त्रिवेंद्र नागेश को गोपालपुर के साथ तुहामेटा यानी डबल पंचायत का प्रभार दे दिया। इसी तरह उरमाल के सचिव का डूमाघाट और डूमाघाट के सचिव का मदांगगुड़ा ट्रांसफर कर दिया। बवाल कटा तो डूमाघाट के सचिव को वापस उरमाल भेजकर मदांगगुड़ा में नए सचिव की नियुक्ति कर दी।

गरियाबंद कलेक्टर बीएस उइके ने कहा कि इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। जिला पंचायत सीईओ से बात कर लीजिए। वे आपको बेहतर बता पाएंगे।

जिला पंचायत सीईओ प्रखर चंद्राकर ने कहा कि जनपद सीईओ हटने के बाद नागेश को प्रभारी के रूप में बिठाया है। बाकी पदों पर भी योग्य देखकर जल्द नई नियुक्तियां की जाएंगी।