
गाजियाबाद. यूपी में बदमाशों में एनकाउंटर का खौफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। गौतमबुद्धनगर में हाल ही में थाने में भाजपा नेता के हत्यारे ने सरेंडर किया था। इसी तरीके से गाजियाबाद में एक भी लगातार शातिर बदमाशों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम किया जा रहा है। सरकार के खौफ ने जेल प्रशासन की हवाई उड़ाकर रखी हुई है। दरअसल, बढ़ती संख्या में अपराधियों के जेल पहुंचने से वहां दबाव अधिक बढ़ गया है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक बैरक में तीन गुना तक ज्यादा कैदियों को रखा जा रहा है। अब अगर हालात इसी तरीके से चलते रहे तो कैदियों को जेल में रखना मुश्किल हो जाएगा।
दरअसल, एक बैरक में 60 कैदियों की क्षमता होती है। लेकिन गाजियाबाद जनपद की डासना जेल में एक बैरिक में दो सौ से लेकर ढाई सौ तक कैदियों को रखा जा रहा है। अब जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी जेल मेन्युअल का प्रावधान तार-तार होना तय है। तीन महीने में नामी-गिरामी 332 बदमाशों ने गुपचुप तरीके से जमानत तुड़वाकर डासना जेल में बिस्तर जमा दिया है। सैकड़ों ने जेल से ही परिजनों को मुलाकात के जरिए संदेश देकर अपनी जमानत होल्ड करवा दी है। जेल पहुंचने वाले औसतन सौ कैदियों का आंकड़ा डेढ़ सौ से ऊपर पहुंच गया। दिसम्बर 2017 में डासना जेल में कैदियों की संख्या 4106 थी जो अब बढ़कर पांच हजार पर पहुंच गई है।
प्रदेश में सुरक्षा के लिहाज से डासना जेल अंति संवेदनशील जेलों में शामिल है। इसमें कई आंतकियों से लेकर कई हाई-प्रोफाइल कैदी बंद है। 1997 में बनाई गई इस जेल की क्षमता 1704 कैदियों को रखने की ही है। लेकिन अब जेल में कैदियों की संख्या पांच हजार से ऊपर पहुंच गई है। मौजूदा समय में जेल में 166 महिला कैदी, दो आतंकवादी, 42 हाईप्रोफाइल कैदी, 679 सिद्धदोष कैदी बंद हैं।
डासना कारागार के जेलर ददीराम मौर्या के मुताबिक जेल में कैदियों की संख्या में इजाफा हुआ है। जेल मैन्युअल के हिसाब से ही सारी व्यवस्था की जा रही है।
Published on:
29 Mar 2018 05:08 pm
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