
गाजियाबाद। गंभीर बीमारियों के होने पर बच्चों को भी दवाइयां खानी पड़ती है। लेकिन, ज्यादातर बच्चे दवाइयों के कड़वे होने की वजह से गंभीर बीमारियों के कोर्स को आधे में ही छोड़ देते थे। स्वास्थ्य विभाग ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए टीबी की बीमारियों के लिए बच्चों को दी जाने वाली मेडिसिन में बदलाव किया है। अब बच्चों को इन्हें खाने पर टाफियों की तरह मीठा और चॉकलेटी रस वाला टेस्ट आएगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दवाइयों में किए गए बदलाव को लेकर भी पुष्टि की है। संभावना है कि अगले महीने तक ये सरकारी अस्पतालों में वितरण के लिए उपलब्ध हो जाए।
बच्चों में मिल जाती है कई प्रकार की टीबी
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, वर्तमान परिवेश में बच्चों में कई तरीके की टीबी मिल जाती है। इसमें कांप्लेक्स, बाल टीबी, प्रोग्रेसिव प्राइमरी टीबी, मिलियरी टीबी, दिमाग की टीबी, हड्डी की टीबी, माइक्रोबैक्टिरियम ट्यूबरक्लोसिस कीटाणु से होती है। इसे जड़ से खत्म करने के लिए दवाइयों के कोर्स को एक निर्धारित अवधि में पूरा करना होता है।
अब इन फ्लेवर में उपलब्ध होगी टीबी की दवाइयों
गंभीर बीमारियों के अधूरे कोर्स रह जाने की वजह से नुकसान का खतरा अधिक रहता है। इसलिए, सरकार की तरफ से मिले दिशा-निर्देश के बाद में इन मेडिसिन के फ्लेवरों में बदलाव करते हुए चॉकलेट और फूड फ्लेवर को शामिल किया गया है। इन दवाइयों को पानी में डालकर घोलकर भी पिलाया जा सकता है। अगले महीने से दोनों सरकारी अस्पतालों के स्टॉक में वितरण के लिए ये दवाइयां उपलब्ध होगी।
तीन की जगह दी जाएगी एक गोली
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनके गुप्ता ने बताया कि अगले माह से दवाइयों का वितरण शुरू हो जाएगा। टीबी रोग से संबंधित दवाइयां बेहद हाई पावर की होती है, इनका स्वाद भी अच्छा नहीं होता है। ऐसे में बच्चे दवाओं की पूरी डोज नहीं ले पाते हैं, इसलिए दवाइयों के फ्लेवर में बदलाव किया गया है। बच्चों को अब तीन की जगह एक गोली ही दी जाएगी।
Published on:
11 Dec 2017 02:56 pm
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