पत्रिका संवाददाता ने जब गाजियाबाद के कुछ सड़कों का हाल हाल जाना तो देखा कि हर जगह पटाखों का कूड़ा ही कूड़ा पड़ा है। देर रात 2:00 बजे तक पटाखे छोड़े गए, जिनकी आवाज पूरे शहर में गूंज रही थी और वायु प्रदूषण की चादर में पूरा आसमान लिपटा हुआ था। जब लोगों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश तो सही थे, लेकिन लोगों ने आदेशों को नहीं माना। तेज आवाज वाले पटाखे भी छोड़े गए, जिससे उन लोगों को काफी दिक्कतें आई और ह्रदय रोगियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
वहीं, जब ENT स्पेस्लिस्ट डॉक्टर संजय सैनी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस पॉलुशन से साँस लेने पर प्रदूषण गले से होता हुआ फेफड़े में जाता है, जिससे गले में इंफेक्शन और खासी होने लगती है। यह प्रदूषण अस्थमा के मरीज़ों के लिए काफी खतरनाक है।
गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में लगातार वायु प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगा रखा था, लेकिन दीपावली का त्यौहार देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के इस्तेमाल से प्रतिबंध तो हटा दिया था, लेकिन दीपावली के दिन 8:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक ही पटाखे छोड़ने का आदेश दिए थे। कोर्ट ने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को हिदायत दी थी कि इन आदेशों का सख्ती से पालन कराएं। कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ ग्रीन पटाखे ही छोड़े जाएं, लेकिन गाजियाबाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम अवहेलना की गई।