दरअसल केन्द्र सरकार की योजनाओं के लिए 1964 में रहीसपुर, हरसांव, सिहानी और रजापुर गांव की 966 एकड़ जमीन को एक रुपये 40 पैसे की दर से अधिग्रहित किया गया था। अधिग्रहित जमीन का मुआवजा ना मिलने पर किसानों ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। अदालत ने किसानों के हित में फैसला दिया औऱ सभी की जमीनों पर मुआवजा देने का आदेश पारित किया। लेकिन केन्द्र में सरकारे बदली लेकिन किसानों की किसी ने भी सुध नहीं ली।