
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) के डीएम अजय शंकर पांडे (DM Ajay Shankar Pandey) ने लोगाें के लिए एक मिसाल कायम की है। उन्होंने पानी की बर्बादी होने पर खुद पर जुर्माना लगाया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने अधिकारियों पर भी अर्थदंड लगाया। इसके बाद डीएम ने अपनी जेब से 10 हजार रुपये जमा कराए।
पानी बचाने के लिए चल रहे हैं जागरुकता अभियान
दरअसल, पानी बचाने के लिए कई जागरुकता अभियान चल रहे हैं। लोगों से पानी बचाने की अपील की जा रही है। भूजल का स्तर काफी नीचे चला गया है। इससे उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में आने वाले समय में पानी की किल्लत होने की संभावना जताई जा चुकी है। इसको देखते हुए गाजियाबाद में भी लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस बीच मंगलवार को कलेक्ट्रेट में पानी की बर्बादी होते देख डीएम ने 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना उन्होंने खुद और कलेक्ट्रेट के स्टाफ पर लगाया। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में ऐसा पहला मामला है जब डीएम ने खुद पर जुर्माना लगाया हो। उन्होंने ‘पश्चाताप शुल्क’ के रूप में 10 हजार रुपये अपनी जेब से दिए।
डीएम रोज करते हैं कार्यालय की सफाई
अपने कार्यालय की खुद सफाई करने वाले गाजियाबाद के डीएम अजय शंकर पांडे मंगलवार को रोजाना की तरह अपने ऑफिस पहुंचे। वह सफाई करने के बाद कुछ देर के लिए अपने रेस्ट रूम पहुंच गए। अचानक ही उन्हें ऊपर से पानी गिरने की आवाज आई। उन्होंने कार्यालय में मौजूद कर्मचारी को बुलाकर उसकी जानकारी ली तो पता चला कि पानी की टंकी फुल हो गई है। इस वजह से पानी ओवरफ्लो हो रहा है। इसको लेकर डीएम ने नाराजगी जताई। उन्होंने अन्य कर्मचारियों को भी बुलाया और जानकारी ली। कर्मचारियों ने उनको बताया कि करीब 10:15 मिनट से पानी ओवरफ्लो हो रहा है।
30 अधिकारी और 100 कर्मचारियों पर लगा जुर्माना
इसके बाद जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से कार्यालय में मौजूद 30 अधिकारी और 100 कर्मचारियों पर 10 हजार रुपये का पश्चाताप शुल्क लगाया। इसके तहत 30 अधिकारियों पर 100 और 100 कर्मचारियों पर 70 रुपये का पश्चाताप शुल्क लगाया गया। इसमें उन्होंने खुद को भी शामिल किया। इस बारे में डीएम अजय शंकर पांडे ने कहा कि जब हम खुद अपने कार्यालय की सफाई कर सकते हैं, तो इसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी हम लोगों की ही बनती है। यहां सभी अधिकारी मान भी रहे हैं कि पश्चाताप शुल्क लगाया जाना उचित है। इसके चलते 10 हजार रुपये का पश्चाताप शुल्क लगाया गया है। यह शुल्क कलेक्ट्रेट परिसर में ही रखरखाव के कार्य में इस्तेमाल किया जाएगा।
Updated on:
06 Nov 2019 12:33 pm
Published on:
06 Nov 2019 10:40 am
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