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गाजियाबाद: अर्धनग्‍न होकर धरने पर बैठे किसान मंगू खान की मौत

एक वर्ष से ज्‍यादा समय से चल रहा है लोनी के मंडोला में किसानों का धरना

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Mandola

गाजियाबाद। एक वर्ष से ज्‍यादा समय से लोनी के मंडोला में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल 80 वर्षीय किसान मंगू खान की शुक्रवार शाम को दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में मौत हो गई। आंदोलन कर रहे अन्य किसानों का आरोप है कि सर्दी के मौसम में अर्धनग्न अवस्था में धरने पर बैठने के कारण ही मंगू खान की तबियत खराब हुई थी, जिस कारण उन्‍हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वहीं, इसके बाद से किसानों में आक्रोश बढ़ गया है। किसानों का कहना है कि यदि सरकार इस आंदोलन को गंभीरता से लेती तो शायद मंगू खान की जान बच जाती। बताया जा रहा है कि मंगू खान 6 दिसंबर से धरने में शामिल हुए थे।

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यह है मामला

आपको बता दें कि आवास विकास परिषद ने लोनी के कई गांवों की 2640 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। इसमें प्रमुख रूप से मंडोला, नानू, पंचलोक, नवादा, मिल्‍क बम्ला व अगरोला आदि शामिल थे। किसानों की मानें तो उस समय परिषद ने भूमि का अधिग्रहण 1100 रुपए प्रति मीटर के हिसाब से इस शर्त पर किया था कि परिषद इसके अंतर्गत केवल आवासीय योजनाएं विकसित करेगी। आरोप है कि अब आवास विकास परिषद इनमें प्राइवेट बिल्डरों को भूमि आवंटित करके मोटा मुनाफा कमा रहा है, जिससे किसान स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं। अब किसान मांग कर रहे हैं कि उन्हें आज के बढ़े रेटों के हिसाब से मुआवजा दिया जाए और उनकी अधिग्रहीत की गई आधी जमीन वापस दी जाए।

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दिसंबर 2016 से शुरू हुआ अनिश्‍चितकालीन धरना

इन्हीं मांगों को लेकर किसानों ने 1 दिसंबर 2016 से अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया था। इसके बाद 6 दिसंबर से कई किसान अर्धनग्न अवस्था में धरने पर बैठ गए। परिजनों के मुताबिक, मंगू खान भी लगातार इस धरने पर अर्धनग्न अवस्था में बैठे थे, जिस कारण उनकी तबियत बिगड़ गई। वह 6 दिसम्बर से अर्धनग्न धरने पर बैठे थे और पिछले कई दिन से बीमार चल रहे थे। अनशन के दौरान ही मंगू खां को सीने में तेज दर्द हुआ था, जिसके बाद उन्‍हें दिल्‍ली के लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। धरनारत किसान उनके सपुर्द-ए-खाक में शामिल हुए और दो मिनट का मौन रखा।

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अधिकारी ने कहा- प्रशासन को नहीं थी जानकारी

वहीं, एसडीएम लोनी इंदु प्रकाश सिंह ने बताया कि वह शुक्रवार सुबह खुद धरनास्थल पर किसानों के बीच गए थे। शासन स्तर से वार्ता कराने के लिए किसानों ने उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा था, लेकिन इस दौरान किसानों ने इस बारे में कुछ नहीं बताया। उन्‍होंने कहा कि प्रशासन द्वारा भी उनको किसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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किसानों ने लगाया आरोप

उधर, किसानों का आरोप है कि जिस वक्त प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और चुनाव नजदीक थे तो उस दौरान भाजपा ने कई वादे किए थे। उनके अनुसार, भाजपा ने वादा किया था कि यदि इस बार उनकी सरकार प्रदेश में आती है तो सबसे पहले किसानों का समाधान किया जाएगा। अब सरकार बने हुए भी काफी समय हो चुका है लेकिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी किसानों की समस्याओं का समाधान कराने के लिए तैयार नहीं है। शुक्रवार को भी जब एसडीएम धरनास्‍थल पर पहुंचे थे तो अनशनकारी महिला रामरती की तबियत खराब हो गई थी। अधिकारियों ने उन्‍हें एंबुलेंस बुलवाकर हॉस्पिटल भेजने की पेशकश की लेकिन रामरती नेमना कर दिया।

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