
गाजियाबाद। कोविड-19 महामारी का प्रभाव इस बार आम की खेती करने वाले ठेकेदारों पर भी देखने को मिल रहा है।जिसके चलते इस बार आम की मिठास भी गायब होती नजर आ रही है। आम के बाग की ठेकेदारी करने वाले लोगों का कहना है कि आम के बाग के मालिक किसान होते हैं। लेकिन उनके द्वारा 2 साल या 3 साल का ठेका आम के ठेकेदारों को दे दिया जाता है और उनकी किस्त का समय भी तय किया जाता है।
इस बार ठेकेदारों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन किया गया है और अब अनलॉक वन की घोषणा भी की गई है। लेकिन अभी भी बाजार पूरी तरह से नहीं खुल पा रहे हैं। फल मंडी में भी पूरी तरह से माल सप्लाई नहीं हो पा रहा है। उधर कोविड-19 महामारी के संक्रमण से ग्रसित होने के भय के कारण आम के शौकीन भी इस बार आम कम खरीद रहे हैं। जिसके कारण इस बार आम की बिक्री बेहद कम है और इसका सीधा असर आम के ठेकेदारों पर नजर आ रहा है। क्योंकि एक तरफ उनका आम बिक नहीं पा रहा है और वहीं दूसरी तरफ आम के बाग के मालिक को पूरी पेमेंट करनी होती है।
आम के बाद के ठेकेदारों का कहना है कि उन्हें अपने मकान गिरवी रखकर आम के बाग के मालिक को पेमेंट करनी पड़ रही है। बच्चों की पढ़ाई और उनके लालन-पालन पर भी खासा असर पड़ रहा है। सीधे-सीधे आम के बाग के ठेकेदार भुखमरी की कगार पर आ चुके हैं। उनका कहना है कि जिस तरह से सरकार द्वारा किसानों को कई फसलों पर सब्सिडी दी जाती है, ठीक उसी तरह आम के ठेकेदारों को भी सरकार के द्वारा सब्सिडी दी जानी चाहिए ताकि लोग भुखमरी के कगार से बच सकें।
Updated on:
28 Jun 2020 05:12 pm
Published on:
28 Jun 2020 05:11 pm
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