8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मुन्ना बजरंगी को राजनीति में जाने का लग चुका था चस्का

पेशी के दौरान अक्सर नातओं की तरह सफेद कपड़े में देता था हाजिरी

2 min read
Google source verification
mubajrangi

मुन्ना बजरंगी को राजनीति में जाने का लग चुका था चस्का

गाजियाबाद. बदलते वक्त के साथ कई बाहुबली जैसे मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह माफिया से माननीय बन गए, लेकिन मुन्ना बजरंगी अपनी इस हसरत को पूरी किए बिना ही काल की गाल में समा गया। मुख्तार और बृजेश की राह चलते हुए मुन्ना भी राजनीति में आने का प्लान बना चुका था। यही वजह है कि अक्सर पेशी के दौरान मुन्ना बजरंगी सफेद कपड़े पहने हुए दिखता था। अपराध की दुनिया में लंबा वक्त बिताने के बाद उसे राजनीति में उतरने का चस्का लगा था। रंगदारी से करोड़ों रुपये वसूलने के बाद मुन्ना बजरंगी ने 2012 में मड़ियाहूं विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। मगर करारी हार हुई। इसके बाद पिछले विधानसभा चुनाव में उसने अपनी पत्नी सीमा को भी मैदान में उतारा था। मगर पत्नी को भी हार का सामना करना पड़ा। बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी करीब 40 से अधिक हत्या की घटनाओं में शामिल रहा था।

यह भी पढ़ेंः मुन्ना बजरंगी की मौत से पहले भी पश्चिमी यूपी में कोहराम मचा चुके हैं ये गैंग, इतिहास जानकर उड़ जाएंगे होश

बढ़ रहा था राजनीतिक कद और लोकप्रियता
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में दुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बन चुके प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की हत्या ने पूर्वांचल समेत पूरे यूपी को हिलाकर रख दिया है। जौनपुर जिले के रामपुर ब्लॉक प्रमुख कैलाश दुबे हत्याकांड के मामले में कुछ दिनों तक मुन्ना यहां ज्ञानपुर जेल में भी बंद रहा था। तब जेल पर कड़ा पहरा लगाया गया था। हालांकि बाद में गवाहों के टूटने की वजह से वह बाइज्जत बरी हो गया था। इस दौरान जब भी वह पेशी पर आता, उसकी एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती थी ।

यह भी पढ़ेंः मुन्ना बजरंगी मर्डर केसः इन नेताओं के बयान से भाजपा में मचा हड़कंप

1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए मुख्तार अंसारी की पनाह में काम करने वाला मुन्ना बजरंगी भी नेता बनना चाहता था। बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी के राजनीति में भी पैर जमाने की कोशिश के कारण मुख्तार और मुन्ना के रिश्ते में दरार पड़ी। दरअसल, 2012 में मुन्ना बजरंगी ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की। मुन्ना बजरंगी एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था। मुख्तार अंसारी को यह बात मंजूर नहीं थी। यही वजह थी कि मुख्तार उसके लोगों की मदद भी नहीं कर रहे थे। बताया जाता है कि सपा और भाजपा से निराश होने के बाद मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा। वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया। कांग्रेस के वह नेता भी जौनपुर जिले के रहने वाले थे। मगर मुंबई में रह कर सियासत करते थे। ये भी खबर है कि मुन्ना बजरंगी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने इस नेता को सपोर्ट भी किया था। इतना कुछ करने के बाद भी मुन्ना बजरंगी को राजनीति में जगह नहीं मिली। इस प्रकार मुन्ना बजरंगी अपनी राजनीतिक हसरत पूरी किए बिना ही इस दुनिया से चला गया।


बड़ी खबरें

View All

गाज़ियाबाद

उत्तर प्रदेश

ट्रेंडिंग