
गाजिय़ाबाद. रंगों का त्यौहार होली हिंदूओं के प्रमुख त्यौहारों में शामिल है। होली को असत्य पर सत्य की जीत के रूप में देखा जाता है। दो दिन तक मनने वाले इस त्यौहार पर अगर सहीं तरीके से पूजा अर्चना की जाए तो निश्चित तौर पर लाभ मिलता है। ज्योतिषाचार्यो का भी ऐसा मानना है कि होली दहन पर भद्राकाल से पहले पूजन करना चाहिए। पूजन करते हुए मंत्रोचारण स्पष्ट और सहीं करना चाहिए। तभी लोगों को इसका पूरा फायदा मिलता है। इस बार होली पर विशेष संयोग भी बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य शिवा गौड़ का कहना है कि होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि में करना चाहिए। एक तारीख को सुबह 8 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग रही है लेकिन इसके साथ भद्रा भी लगा होगा। भद्रा काल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए इससे अशुभ फल प्राप्त होता है। शाम में 7 बजकर 37 मिनट पर भद्रा समाप्त हो जाएगा इसके बाद से होलिका दहन किया जाना शुभ रहेगा।
बन रहा है विशेष संयोग
इस साल में आने वाली होली का महुर्त भी बेहद शुभ है। ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन के लिए तीन चीजों का एक साथ होना बहुत ही शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि हो, प्रदोष काल हो और भद्रा ना लगा हो। इस साल होलिका दहन पर ये तीनों संयोग बन रहे हैं। इसलिए होली आनंददायक और शुभ रहेगी।
होली की भस्म से भी मिलता है लाभ
होली दहन के बाद में लोग सुबह इसकी भस्म को अपने घर में लाकर रखते है। इसके पीछे की मान्यता है कि भस्म में शरीर के अंदर स्थित दूषित द्रव्य सोख लेने की क्षमता होती है, इस कारण पर भस्म लेपन करने से कई तरह के चर्म रोग नहीं होते हैं।घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है।
Updated on:
27 Feb 2018 04:45 pm
Published on:
27 Feb 2018 04:40 pm
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