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भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष के भाई की गोली लगने से मौत के बाद दलित समाज उतरे सड़क पर, प्रशासन के उड़े होश

दलितों ने अपनी मांगे नहीं माने जाने तक शव का पोस्टमॉर्टम कराने से किया इंकार

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saharanpur

सहारनपुर. दलित और ठाकुरों के बीच लड़ाई का अखाड़ा बन चुका सहरानपुर जुला एक बार से सुलग रहा है। यहां महाराणा प्रताप की जयंती से पहले दलितों के संगठन भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया की गोली लगने से मौत के बाद सहारनपुर में दलित समाज में फिर से रोष व्याप्त हो गया है। अपने नेता के भाई की हत्या के बाद भारी संख्या में दलित समाज के लोगों ने जिला अस्पताल में डेरा डाल लिया है। इन लोगों को समझाने के लिए एसएसपी और जिलाधिकारी भी मौके पहुंचे। लेकिन ये लोग आरोपियों की गिरफ्तारी पर अड़े रहे। इन लोगों का कहना है कि जब तक सरकार पीड़ित परिवार को मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपये और घर के एक व्यक्ति को नौकरी नहीं देती है, तब तक बॉडी का पोस्टमॉर्टम नहीं होने देंगे। इसके साथ ही ये लोग आरिपयों की गिरफ्तारी पर भी अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक उनकी तीनों मांगे नहीं मानी जाती है, वे अपनी जगह से हिलेंगे भी नहीं। दलित समाज के आक्रोशित भीड़ को देखते हुए किसी भी अनहोनी को टालने के लिए अस्पताल में भारी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई है। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद भी अस्पताल में ही मौजूद हैं।

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हालांकि, इस मामले में एसएसपी बबलू कुमार का कहना है कि घटना कैसे हुई इसका पता लगाने की कोशिश की जा रही है। अभी तक परिवार के लोग घटनास्थल भी नहीं बता पा रहे हैं। फिलहाल, यह घटना कैसे हुई इसकी पूरी जांच कराई जा रही है। पुलिस के पास एक वीडियो भी सामने आया है, इस वीडियो में कुछ महिलाएं सड़क को पानी से धोते हुए दिखाई दे रही हैं। एसएसपी का कहना है कि इस वीडियो के आधार पर भी जांच कराई जा रही है और जिस तरह से गोली लगने के बाद शरीर पर ब्लैकनिंग नहीं आई है। उससे यह आशंका जताई जा रही है कि गोली बेहद नजदीक से लगी है। अभी तक कोई ऐसा स्पष्ट जवाब ही सामने नहीं आया है, जिसने किसी को गोली मारते हुए देखा हो। इन सभी एंगल पर जांच कराई जा रही है। उधर, मृतक के परिजनों और गांव वालों की ओर से साफ आरोप लगाया जा रहा है कि सचिन वालिया की किसी ने गोली मारकर हत्या की है, लेकिन अभी तक किसी की ओर से कोई तहरीर पुलिस को नहीं दी गई है।

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जिला अस्पताल में इकट्ठे गांव के लोगों और परिजनों में बेहद गुस्सा है और रामनगर गांव में भी महिलाएं और बच्चे सड़क पर आ गए हैं। इस घटना के बाद प्रशासन ने मालीपुर रोड पर चल रही महाराणा प्रताप जयंती को आनन-फानन में बंद कराया और माहौल को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। एसएसपी सहारनपुर बबलू कुमार का कहना है कि पर्याप्त पुलिस बल पूरे शहर में तैनात कर दिया गया है और पूरी घटना की गंभीरता से जांच कराई जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर अनिश्चित काल के लिए इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई है।

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प्राप्त जानकारी के मुताबिक भीम आर्मी ने लोगों को चेतावनी दी थी कि वे महाराणा प्रताप जयंती का कार्यक्रम न करें। लेकिन जिला प्रशासन ने कार्यक्रम की अनुमति देते हुए 800 पुलिस कर्मियों की सुरक्षा कार्यक्रम स्थल महाराणा प्रताप भवन के आसपास उपलब्ध कराई थी। भीड़ के जमावड़े को लेकर भी प्रशासन ने चाक-चौबंद व्यवस्था की थी। इसी वजह से कार्यक्रम में सिर्फ 200 निहत्थे लोगों को शामिल होने की परमिशन दी गई थी।


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