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लॉकडाउन में सात समुंदर पार इंग्लैंड पहुंची गाजीपुर की मिर्ची, लौकी की भी हुई डिमांड

- उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की मिर्ची (Ghazipur Chilli) का ब्रिटिश तड़का- गाजीपुर के किसान जितेंद्र राय ने इंग्लैंड भेजी 1500 किलो मिर्च और 500 किलो लौकी

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लॉकडाउन में सात समुंदर पार इंग्लैंड पहुंची गाजीपुर की मिर्ची, लौकी की भी हुई डिमांड

लॉकडाउन में सात समुंदर पार इंग्लैंड पहुंची गाजीपुर की मिर्ची, लौकी की भी हुई डिमांड

गाजीपुर. लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद हैं। कुछ किसानों की फसल खेतों में पड़ी है तो कुछ का अनाज मंडियों तक पहुंच रहा है। इस बीच गाजीपुर का एक किसान सात समुंदर पार इंग्लैंड तक अपनी मिर्च और लौकी (Chilli and Pumpkin) भेजकर सुर्खियों में है। ऐसा संभव हुआ है वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय नई दिल्ली एपीडा के द्वारा। विभाग की मदद से गाजीपुर के खेतों में पैदा हुई 1500 किलो मिर्च और 500 किलो लौकी गाजीपुर से वातानुकूलित वाहन नई दिल्ली तक पहुंचाई गई जो अब इंग्लैंड की रसोइयों में अपना जायका बिखेर रही है।

21 अप्रैल को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय नई दिल्ली ने वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने गाजीपुर की 1500 किलो मिर्च और 500 किलो लौकी की डिमांड की, जिसे नई दिल्ली एयरपोर्ट से लंदन तक कार्गो से जाना था। इसके लिए मंत्रालय ने वातानुकूलित वाहन की भी व्यवस्था की थी, जो तीन दिन पूर्व जितेंद्र राय के खेतों की लौकी और हरी मिर्च को लेकर दिल्ली तक गया। अब गाजीपुर की मिर्च और लौकी इंग्लैंड तक पहुंच चुकी है।

गाजीपुर जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर भावर कोल ब्लॉक के लोचाइन गांव निवासी जितेंद्र राय एक जागरूक किसान हैं। वैज्ञानिक तरीकों से वह खेती करते हैं। अपनी उपज को वह जिले की मंडियों तक ही नहीं बल्कि सात समंदर पार इंग्लैंड तक भेजते हैं। 10 हेक्टेअर में खेती करने वाले किसान जितेंद्र ने इस बार दो हेक्टेयर में हरी मिर्च तैयार की है। वह बताते हैं कि बाहर जाने वाली सब्जियों का भाव जनपद की मंडियों के भाव से दोगुना मिल जाता है। जितेंद्र ने बताया कि इसके पहले भी कई बार कार्गो के माध्यम से वह टमाटर, मिर्च और मटर विदेशों में भेज चुके हैं।

एपीडा से जारी होती है गाइडलाइन
किसान जितेंद्र राय बताते हैं कि वह एपीडा में रजिस्टर्ड हैं। समय-समय पर एक्सपोर्ट क्वालिटी को लेकर विभाग की ओर से गाइडलाइन जारी होती रहती है। मानकों पर खरा उतरने के बाद ही उनकी उपज विदेशों में जाती है। अब तक वह करीब आधा दर्जन बार एपीडा के माध्यम से अपने उत्पाद विदेशों खासकर खाड़ी देशों में भेज चुके हैं। वह बताते हैं कि एपीडा के अलावा अन्य व्यापारी भी खेत पर ही खरीद करने आते हैं, जो अपने स्तर से देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों में एक्सपोर्ट करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी मिर्च और लौकी (Ghazipur Chilli and Pumpkin) की अगली खेप तीन मई को पुनः जाने वाली है।