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परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद पर लिखी किताब ‘मेरे पापा परमवीर’ का विमोचन करेंगे मोहन भागवत, राइफल से 8 टैंक उड़ाकर पाकिस्तानी को चटाई थी धूल

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत गाजीपुर में परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की जयंती पर उनके जीवन पर लिखी किताब 'मेरे पापा परमवीर' का विमोचन करेंगे। अब्दुल हमीद ने 1965 की जंग में अकेले ही दुश्मन के आठ पैटन टैंक को नष्ट करके पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिए थे।

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Mohan Bhagwat will release Mere Papa Paramveer written on Paramvir Chakra winner Abdul Hameed

लोकसभा चुनाव के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दूसरी बार यूपी दौरे पर हैं। मोहन भागवत रविवार को तीन दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे। इस दौरान क्षेत्र और प्रांत प्रचारक समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। दूसरे दिन यानी सोमवार को संघ प्रमुख काल भैरव और काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा पाठ की। इसके बाद वह गाजीपुर रवाना हो गए।

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत गाजीपुर में परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की जयंती पर उनके जीवन पर लिखी किताब 'मेरे पापा परमवीर' का विमोचन करेंगे। किताब हमीद के बड़े लड़के जैनुल हसन से बातचीत के आधार पर रामचंद्रन निवासन ने लिखी है।

अब्दुल हमीद ने अकेले ही पाकिस्तानी सेना के कर दिए थे दांत खट्टे

सन 1965 के भारत- पाक युद्ध के नायक परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का आज जयंती है। अब्दुल हमीद ने अपने अदम्य साहस के बलबूते अकेले ही पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। 1965 में अमेरिका जैसे कुछ अन्य बड़े देशों की सरपरस्ती में पाकिस्तान ने पूरी तैयारी के साथ भारत पर आक्रमण किया था। हालांकि, दुश्मन के मुकाबले कम संसाधन होते हुए भी हमारे सैनिकों ने जज्बा और सैन्य कौशल दिखाते हुए उसे धूल चटा दी। इसमें अब्दुल हमीद का काफी महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने केवल छोटी से गन से पाकिस्तान के कई टैंक तबाह कर दिए थे। घायल हो जाने से बाद में वें भी वीरगति को प्राप्त हो गए। उनके पराक्रम और शौर्य के लिए अब्दुल हमीद को मरणोपरांत परमवीर च्रक प्रदान किया गया था।

भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को दिया था खदेड़

15 अगस्त 1947 को हमें अंग्रेजों से तो मुक्ति मिल गई लेकिन कई अन्य चुनौतियां खड़ी हो गईं थीं। पड़ोसी देश हम पर हावी होना चाहते थे और इसके लिए हमें बार- बार युद्ध में भी झोंका गया। हालांकि, हर संघर्ष में हमारे रणबांकुरों ने गजब के शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए दुश्मनों के इरादे पूरे नहीं होने दिए। ऐसा ही एक युद्ध 1965 में हुआ जब पाकिस्तान एकाएक हमलावर बन गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना और सैनिकों ने ऐसा पराक्रम दिखाया कि यह विश्व इतिहास के सबसे चर्चित संघर्षों में शामिल हो गया। दुनिया में जब भी दो देशों के बीच हुए युद्ध की बात की जाती है, तब 1965 के भारत-पाक युद्ध की चर्चा भी जरूर होती है।

भारतीय सेना ने कर दिए थे पाकिस्तान के चारों खाने चित्त

1965 का यह युद्ध भारतीय सैनिकों की वीरता और बहादुरी की अद्भुत दास्तां है। पाकिस्तान तब पूरी तैयारी से आया था। उसके पास हमसे कई गुना बेहतर हथियार थे। उसने जोरदार हमला किया था, लेकिन हमारे सैनिकों की रग- रग में भरे राष्ट्रवाद ने ऐसा जवाब दिया कि पाकिस्तान चारों खाने चित्त हो गया। उसने हमें अमेरिका के बल पर नीचा दिखाने की कोशिश की थी। पाकिस्तान ने अमेरिकी पैटन टैंक से हम पर हमला किया पर हमारी सेना ने साधारण बंदूकों से ही इन टैकों को तबाह कर दिया था।

दुश्मन ने खेमकरण सेक्टर के असल उताड गांव पर पैटन टैंकों से हमला किया तब भारतीय सैनिक अब्दुल हमीद के पास गन माउनटेड जीप थी। उन्होंने अपनी आरसीएल गन से ही पाकिस्तान के आठ पैटन टैंक तबाह कर डाले लेकिन घायल हो जाने से बाद में उनकी मौत हो गई। उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया।

खास बात यह है कि अब्दुल हमीद की बहादुरी की मिसाल बनी इस गन से मध्यप्रदेश का खास कनेक्शन है। पाक पैंटन टैंकों को उड़ा देनेवाली हमीद की यह गन मध्यप्रदेश के जबलपुर के आर्मी सेंटर में यादगार के तौर पर रखी गई है। इस गन का कई बार सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाता है और तब इसे देखने के लिए लोगों का तांता लग जाता है। इस गन के पिछले हिस्से से बारूद का गोला लोड किया जाता था। इसकी मारक क्षमता आगे 5000 मीटर तथा पीछे 50 मीटर होती थी।

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