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गाजीपुर के राजकुमार पाल का भारतीय हॉकी टीम में चयन, पेरिस ओलंपिक में बिखेरेंगे अपना जलवा

हॉकी इंडिया ने बुधवार को पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए 16 सदस्यीय भारतीय पुरुष हॉकी टीम की घोषणा कर दी है, जो 26 जुलाई से 11 अगस्त के बीच आयोजित किया जाएगा। इसमें गाजीपुर के राजकुमार पाल का नाम भी शामिल है। आइए जानते हैं कौन हैं राजकुमार पाल...

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Paris Olympics 2024 Rajkumar Pal selected in Indian hockey team

यूपी के गाजीपुर स्थित सैदपुर के करमपुर गांव के रहने वाले राजकुमार पाल का चयन भारतीय हॉकी ओलंपिक टीम के लिए किया गया है। राजकुमार पाल गाजीपुर के पहले हॉकी खिलाड़ी हैं, जिनका चयन ओलंपिक टीम में हुआ है। पेरिस में होने वाले ओलंपिक में 16 सदस्यीय टीम में राजकुमार मिडफील्डर के तौर पर खेलेंगे।

राजकुमार पाल ने करमपुर के मेघबरन सिंह स्टेडियम में 8 साल की उम्र से ही हॉकी खेलना शुरू किया था। पिछले चार सालों से वह नेशनल टीम का हिस्सा हैं और बेहतरीन खेल की वजह से ओलंपिक टीम में शामिल किए गए हैं। इससे पहले वह कई अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। उन्होंने 2020 में बेल्जियम के खिलाफ पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था।

राजकुमार फिलहाल बेंगलुरु में ट्रेनिंग कैंप अटेंड कर रहे हैं और ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं। 8 जुलाई को वह हॉलैंड जाएंगे और वहां कुछ प्रैक्टिस मैच खेलेंगे। फिर पेरिस के लिए रवाना होंगे।

मेघबरन सिंह स्टेडियम के दो खिलाड़ियों का ओलंपिक के लिए चयन

मेघबरन सिंह स्टेडियम के प्रबंधक अनिकेत सिंह ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि स्टेडियम के दो खिलाड़ियों राजकुमार पाल और ललित उपाध्याय का चयन ओलंपिक के लिए हुआ है। ललित उपाध्याय पिछले ओलपिंक में भी कांस्य पदक विजेता भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं, वह मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले हैं। लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत इसी स्टेडियम से की थी।

उन्होंने कहा कि गाजीपुर को राजकुमार पाल के रूप में पहला ओलंपियन मिल गया है। इसका श्रेय स्टेडियम के संस्थापक स्वर्गीय तेजबहादुर सिंह को जाता है। एक एक्सीडेंट में राजकुमार के पिता का निधन हो गया था, वह तीन भाई हैं। उनके दोनों बड़े भाई जोखन पाल और राजू पाल भी इस स्टेडियम के ही खिलाड़ी रहे हैं और फिलहाल स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी नौकरी कर रहे हैं।

कोच इंद्र देव ने बताया कि राजकुमार ने आठ साल की उम्र में इस स्टेडियम में खेलना शुरू कर दिया था। वह बचपन से ही बहुत अनुशासित खिलाड़ी रहे हैं। उसके अंदर सीखने की ललक शुरू से थी, जिसकी वजह से वह लगातर आगे बढ़ते रहे और आज ओलंपिक में जाने वाले गाजीपुर के पहले खिलाड़ी बने हैं।

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