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यहां डॉक्टर व इंजीनियर नहीं, बाल मन में पलता है सैनिक बनने का ख्वाब…

विद्यालयों में पढ़ाया जाता है गांव का पराक्रमी अतीत, बच्चों में भी उफान मारता है देश सेवा का जज्बा

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आलोक त्रिपाठी की रिपोर्ट...

गाजीपुर. देश प्रेम हालिया कुछ समय में ज्वलंत मुद्दा बनकर सामने आया है। ऐसे में जनपद का एक गांव पूरे देश के लिए नजीर है, जहां के बुजूर्गों और युवाओं की कौन कहे बच्चों में भी देश प्रेम की भावना उफान मारती है। हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बिहार की सीमा पर बसे गांव गहमर की। जहां के प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को पाठ्यक्रम के साथ ही गांव की गौरव गाथा भी पढ़ाई जाती है। 13-14 वर्ष की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते जहां अधिकतर किशोर डॉक्टर, इंजीनियर एवं अन्य नौकरियां प्राप्तकर विलासितापूर्ण जीवन का ख्वाब देखने लगते हैं, वहीं गहमर गांव का किशोर सेना में भर्ती होकर सरहदों की रखवाली और दुश्मनों के दांत खट्टे करने का ख्वाब लिए सेना में भर्ती होने की तैयारी शुरू कर देते हैं।

यहां के युवा सेना में भर्ती होने का ख्वाब केवल रोजी-रोजगार के लिए नहीं देखते, बल्कि इनके मन तो गांव के गौरवशाली एवं पराक्रमपूर्ण अतीत को और समृद्ध करने की तमन्ना पल रही होती है। बचपन से ही घर-परिवार में युद्ध में गांव के जवानों के पराक्रम की कहानियां एवं प्राथमिक स्तर से ही विद्यालय में गांव के सैन्य अतीत की शिक्षा का बीज किशोरावस्था तक पहुंचते-पहुंचते पल्लवित हो रहा होता है। बचपन से ही मन में सैनिक बन देश की सेवा करने की भावना पल रही होती है। गांव के प्राथमिक विद्यालयों में पाठ्यक्रम के साथ ही गांव का इतिहास भी पढ़ाया जाता है। गांव के बुजूर्ग बच्चों को 12 वर्ष की उम्र तक पहुंचते ही वर्जिश करने की सीख देते हैं। मन में उमंगे लिए किशोर अध्ययन से समय निकालकर कुछ घंटे भर्ती की तैयारी में बिताते हैं।

मठिया लगती है छावनी

गांव में बुलाकी दास बाबा की मठिया है। जहां प्रतिदिन सुबह और शाम के समय गांव के युवाओं का जमावड़ा लगता है। युवा यहीं मैदान के चक्कर लगाते हैं, तो वहीं बीम खींचने से लेकर सेना भर्ती के लिए आवश्यक अन्य वर्जिश करते हैं। जिससे यहां किसी सैन्य छावनी सा नजारा रहता है। युवक बताते हैं कि मौसम चाहे जितना विपरीत हो, उनकी तैयारी में बाधा नहीं बनता।


देश सेवा ही एकमात्र चाहत

बुलाकी दास बाबा की मठिया पर वर्जिश में तल्लीन युवाओं ने पत्रिका से बात करते हुए एक स्वर से कहा कि सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना ही उनकी एकमात्र चाहत है।