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सिंचाई के लिए टपक दार, फव्वारा संयंत्र लगाने पर, किसानों को मिलेगा 90 प्रतिशत अनुदान

किसानों को टपक दार और फव्वारा संयंत्र लगाने के लिए सरकार भारी भरकम अनुदान दे रही है।

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सिंचाई के लिए टपक दार, फव्वारा संयंत्र लगाने पर, किसानों को मिलेगा 90 प्रतिशत अनुदान

Gonda news

किसान फसलों की टपक दार विधि से सिचाई करके पानी की बचत के साथ-साथ खेती में लगने वाले लागत पर प्रभावी अंकुश लगा सकते हैं । यह सिंचाई की एक ऐसी पद्धति है। जिससे बूंद बूंद पानी सीधे पौधों की जड़ों में जाता है। जड़ों में सीधे पानी पहुंचने से फसलों का बेहतर विकास होता है। जिससे उत्पादन में भारी इजाफा होता है।

गोंडा जनपद के चुनिंदा किसान टपक दार सिंचाई विधि का उपयोग कर खेती की लागत कम कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। प्रगतिशील किसान अनिल पांडे बताते हैं कि इस विधि से बूंद बूंद पानी थोड़े-थोड़े समय के अंतराल में सीधे पौधों की जड़ों पर टपकता रहता है। जिससे पौधों का समुचित विकास होता है। पौधों को उचित मात्रा में पानी मिलने से उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। जिससे उत्पादन में भारी इजाफा होता है। पांडे बताते हैं कि किसानों को खेती में तकनीक का सहारा लेना चाहिए। जिससे लागत घटती है।उत्पादन बढ़ने से किसानों को दोगुना मुनाफा मिलता है।

स्प्रिंकलर सिस्टम के साथ खड़े किसान IMAGE CREDIT: Patrika original

खेतों में एक तरफ से पानी भर कर सिंचाई करने से होते ये नुकसान

खेतों में एक तरफ से पानी भर कर सिंचाई करने के कारण एक तरफ जहां खर्च अधिक आता है। वही पर्याप्त मात्रा में पानी की बर्बादी होती है। अधिक पानी हो जाने के कारण फसलों को भी नुकसान पहुंचता है। पौधों का समुचित विकास नहीं हो पाता है। पूरे खेत में पानी भर जाने के कारण फसलों के बीच में खाली स्थानों पर घास उग आती हैं। जो खेत की उर्वरा शक्ति खींचने के साथ-साथ फसलों को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इन खरपतवार के नियंत्रण के लिए किसानों को अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

इस विधि से सिंचाई करने पर पानी की बचत के साथ होते, ये फायदे

टपक दार सिंचाई विधि में फसलों को पंक्ति में बोए जाने के कारण रासायनिक खाद कम मात्रा में डालनी पड़ती है । जिसका पौधे शत-प्रतिशत उपयोग कर लेते हैं। टपक सिंचाई द्वारा 60 प्रतिशत तक सिंचाई पानी की बचत होती है। इसके द्वारा ऊबड़-खाबड़, क्षारयुक्त, बंजर जमीन शुष्क खेती वाली, पानी के कम रिसाव वाली जमीन और अल्प वर्षा की क्षारयुक्त जमीन भी खेती हेतु उपयोग में लाई जा सकती है।

खेत में टपक दार सिंचाई संयंत्र लगाते कारीगर IMAGE CREDIT: Patrika original

प्रधानमंत्री लघु सिंचाई कार्यक्रम के तहत किसानों को मिलते भारी-भरकम अनुदान

प्रधानमंत्री लघु सिंचाई कार्यक्रम के तहत उद्यान विभाग के माध्यम से 2 हेक्टर तक के जोत वाले किसानों को सरकार द्वारा स्प्रिंकलर या टपक दार सिंचाई संयंत्र खरीदने पर 90 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। जबकि 2 हेक्टर से अधिक जोत वाले किसानों को इन संयंत्रों की खरीद पर 80 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। इसके लिए किसानों को उद्यान विभाग मे ऑनलाइन आवेदन करना होता है। आवेदन लक्ष्य के सापेक्ष पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर स्वीकृत किए जाते हैं । अनुदान की राशि डीबीटी योजना के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में भेज दी जाती है।

उपनिदेशक बोले

उपनिदेशक उद्यान डीके वर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री लघु सिंचाई कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ 18 लाख की लागत से जनपद में 9 सौ हेक्टर में टपक दार, स्प्रिंकलर, रैनगन संयंत्र लगाने के लक्ष्य मिले हैं।लक्ष्य की पूर्ति के लिए किसानों से आवेदन मांगे जा रहे हैं।किसानों को अपनी खसरा खतौनी बैंक पासबुक आधार कार्ड के साथ ऑनलाइन आवेदन करना होगा । सिंचाई कि यह बहुत ही उत्तम विधि है। इसमें किसानों को सरकार द्वारा 90 प्रतिशत तक अनुदान डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खाते में दिया जाता है।