
फोटो सिविल जज बनी रूपाली और उनकी मां
Gonda : सफलता संसाधन या फिर परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती। रूपाली ने सिविल जज बन कर यह साबित कर दिया। इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद रूपाली के पिता का देहांत हो गया। तमाम दुश्वारियां के बावजूद रूपाली ने हार नहीं माना। मन में जज बनने का सपना सजोए रूपाली निरंतर प्रयास करती रही है। इनके सफलता की कहानी सबसे अलग है।
यूपी के गोंडा जिले के सदर तहसील के ग्राम पंचायत फरेंदा शुक्ल के गांव कंचनपुर फरेंदा की रहने वाली रूपाली ने सिविल जज जूनियर डिवीजन 2022 की परीक्षा पास कर जज बनकर यह साबित कर दिया, कि सफलता संसाधन या फिर परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती है। रूपाली में ट्यूशन पढ़कर खुद की फीस के लिए व्यवस्था किया। पहले ही प्रयास में शानदार सफलता हासिल किया।रूपाली के सफलता की कहानी सबसे अलग है। जीवन की तमाम दुश्वारियों से लड़ते हुए रूपाली सिविल जज बनी हैं। इंटर पास होने के बाद पिता का निधन हो गया। लेकिन रूपाली ने हार नहीं मानी। अपने लक्ष्य को लेकर निरंतर प्रयास करती रही। रूपाली के पिता कमलेश तिवारी के पास मात्र तीन बीघे जमीन थी। जिसके घर का खर्च पूरा नहीं हो पा रहा था। लखनऊ शहर में जाकर परचून की दुकान खोल लिया। वही पर ले जाकर अपने बच्चों को पढ़ने लगे। रूपाली जब इंटरमीडिएट पास हुई उसके बाद पिता का निधन हो गया। परिवार में बड़ी बहन और भाई प्राइवेट नौकरी करने लगे। रूपाली ने पढ़ाई के साथ-साथ ट्यूशन पढ़ना शुरू कर दिया। इस ट्यूशन के फीस से वह अपने पढ़ाई का पूरा खर्च निकलती थी। पढ़ाई के दौरानलॉ आनर्स में गोल्ड मेडल हासिल किया।
पीसीएस जे की परीक्षा पास कर रूपाली ने दिया बाद संदेश
एक गरीब परिवार की बेटी रूपाली ने पीसीएस जे की परीक्षा पास कर समाज और युवाओं के लिए बड़ा संदेश दिया है। उसने किसी की ये पंक्तियां कि सपनों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है। सपने उन्हीं के साकार होते हैं जिनके सपनों में जान होती है। इससे चरितार्थ कर दिया। आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे। उन छात्रों के लिए भी रूपाली एक प्रेरणा बन गई है। कि परिस्थितियों कैसी भी हो लक्ष्य अगर साफ है। तो सफलता जरूर मिलेगी।
Updated on:
02 Sept 2023 02:17 pm
Published on:
02 Sept 2023 02:11 pm
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