30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ऐसे करें केले की खेती हो जाएंगे मालामाल, यह विभाग फल फूल मिर्च मसालों की खेती के लिए दे रहा अनुदान

गोंडा परंपरागत खेती से लगातार हो रहे घाटे के कारण किसानों का मोह अब इससे भंग होता जा रहा है । किसान अब फल फूल की खेती की तरफ उन्मुख होकर अपनी तकदीर बदल रहे हैं ।  

2 min read
Google source verification
img-20220311-wa0000.jpg

जनपद के करीब आधा दर्जन ब्लॉकों में बड़ी संख्या में किसान अब केले की खेती कर रहे हैं । इनमें हलधर मऊ ब्लाक का मैजापुर क्षेत्र केले का हब बन चुका है । केले की खेती कर रहे किसान पप्पू शुक्ला बताते हैं । कि जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में केले की पौध की रोपाई करने से उत्पादन बेहतर होता है । पौधों का रोपण करने के लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करें कि मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाए फिर गहरी नालिया बनाकर पंक्ति में पौधों की रोपाई करना चाहिए । इसके लिए जीवाश्म युक्त दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है । ऐसे खेतों में पौध की रोपाई करनी चाहिए जिसमें जल निकासी के उचित प्रबंध हो । उन्होंने बताया एक हेक्टर में अधिकतम 3200 पौधे लगते हैं । जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में रोपाई हो जाने से अगले वर्ष मार्च या बसंत नवरात्र में फसल तैयार हो जाती है । नवरात्र में केले की डिमांड अधिक होने के कारण बेहतर मुनाफा मिल जाता है ।

किसान 3 माह के पुतियो की करे रोपाई

पौधों की रोपई में तीन माह पुतियां जिनमें घनकन्द पूर्ण विकसित हो, उसे प्रयोग करना चाहिए, इन पुतियों की पत्तियां काटकर रोपाई करनी चाहिए। रोपाई के बाद पानी लगाना आवश्यक है।

केले में कई कीट लगते हैं जैसे केले का पत्ती बीटल, तना बीटल जैसे रोग लगते हैं फसलों को कीट से बचाव के लिए समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते रहना चाहिए । उन्होंने बताया जिन पुतियों में चार से छह पत्तियां हों और लम्बाई करीब छह से नौ इंच के बीच हो उन पुतियों की रोपाई करानी चाहिए।

ग्रीष्म ऋतु में आवश्यकतानुसार सात से दस दिन पर तथा अक्टूबर-फरवरी के शीतकाल में 12 से 15 दिन पर सिंचाई करते रहना चाहिए। मार्च से जून तक केले के थालों पर पुआल, गन्ने की पत्ती अथवा पॉलीथीन आदि बिछा देने से नमी सुरक्षित रहती है। सिंचाई की मात्रा भी आधी रह जाती है साथ ही फलोत्पादन एवं गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

केले की खेती में भूमि की ऊर्वरता के अनुसार प्रति पौधा 300 ग्राम नत्रजन, 100 ग्राम फॉस्फोरस तथा 300 ग्राम पोटाश की आवश्यकता पड़ती है। फॉस्फोरस की आधी मात्रा पौधरोपण के समय तथा शेष आधी मात्रा रोपाई के बाद देनी चाहिए। नत्रजन की पूरी मात्रा पांच भागों में बांटकर अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर तथा फरवरी एवं अप्रैल में देनी चाहिए।

उद्यान विभाग के माध्यम से संचालित हो रही योजनाएं

उद्यान विभाग किसानों को फल फूल मिर्च मसालों की खेती के लिए प्रोत्साहन के रूप में दे रहा अनुदान

उद्यान विभाग को इस बार केले की खेती के लिए 125 हेक्टर का लक्ष्य मिला था । प्रति हेक्टर 30738 रुपए पौधे खरीदने के लिए किसानों को अनुदान दिया जाता है । एक किसान को अधिकतम 4 हेक्टर तक ही अनुदान मिलेगा जिला उद्यान अधिकारी मृत्युंजय सिंह ने बताया कि किसानों को विभाग द्वारा प्रति हेक्टर 30738 रुपए अनुदान के रूप में दिए जाते हैं । जिले में किसान अब बड़े पैमाने पर केले की खेती करने लगे हैं । इस वर्ष विभाग को 125 हेक्टर का लक्ष्य मिला था । जिसकी अनुदान राशि किसानों के खाते में भी की जा चुकी है ।