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जन औषधि केंद्र संचालक ने खोल दी डॉक्टरों की पोल कहा यह बड़ी बात, भ्रष्टाचार पर सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति को लग रहा झटका जानें पूरा मामला

गोंडा जनता को सस्ते दाम पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए थे। लेकिन सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों की वजह से जन औषधि केंद्र अपने मूल उद्देश्य से भटक गए। एक जन औषधि केंद्र संचालक ने सरकारी डॉक्टरों की पोल खोल दी। ऐसे में इसके मूल सपने साकार होते नहीं दिख रहे हैं।  

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प्रधानमंत्री द्वारा लोगों को जेनेरिक दवाएं बाजार मूल्य से कम दाम पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से देशभर में जन औषधि केंद्र खोले गए थे। इसका प्रमुख उद्देश्य जनता को जागरूक करने के लिए किया गया था। ताकि आम लोग इस बात को समझ सके की ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में जेनेरिक दवाएं कम मूल्य पर उपलब्ध है। साथ ही साथ इसकी क्वालिटी में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं है। आम आदमी को बाजार मूल्य से 60 से 70 फ़ीसदी कम दाम पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए इन केंद्रों की स्थापना की गई थी। लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को कमीशन बाजी के चक्कर में ये दवाएं रास नहीं आ रही है। जन औषधि केंद्र की हकीकत को परखने के लिए बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय स्थित जन औषधि केंद्र पर दवा खरीद रहे मरीजों से बातचीत की गई तो उन्होंने सीधे चिकित्सकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां पर दवाएं सस्ती मिल रही है। लेकिन डॉक्टर इसे नहीं मान रहे हैं। वह कह रहे हैं कि दवाएं बाहर से लाएं वही फायदा करेगी। केंद्र पर दवा ले रहे अनुपम सिंह ने बताया कि यहां की दवाएं सस्ती मिलती हैं। फायदा भी बहुत अच्छा करती हैं। लेकिन डॉक्टर कहते हैं कि बाहर की दवा खरीद कर लाओ यह दवाएं फायदा नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि हम लोगों से अपील करते हैं। कि इनकी बातों को नजरअंदाज करें। जो भी दवा वह लिख रहे हैं। उसे जन औषधि केंद्र से ही खरीदें सस्ती मिलेगी। बेहतर लाभ होगा। वही दूसरे ग्राहक विकास जायसवाल ने बताया अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा जो दवाएं लिखी जा रही हैं। यहां खरीदने से 60 से 70 प्रतिशत तक बचत होती है। जो दवाएं बाजार में 100 रुपए की हैं। उन दवाओं को यहां 40 से 50 रुपए में खरीदा जा सकता है। दवाओं की बिक्री के संबंध में जब जन औषधि केंद्र संचालक से बातचीत की गई तो उसने सरकारी डॉक्टरों की पोल खोल कर रख दी। कहां की यहां पर उच्च क्वालिटी की जेनेरिक एनएबीएल की प्रमाणित दवाएं हैं। जो देश के उच्च गुणवत्ता वाले प्रयोगशाला में बनी है। पेटेंट दवाओं की अपेक्षा 70 से 80 प्रतिशत तक सस्ती होती है। सरकार की संस्था बीपीपीआई जो दवाएं जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध कराती है। इसमें 900 मॉलिक्यूल तथा 300 सर्जिकल आइटम शामिल है। वर्तमान समय में करीब 600 प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इसमें मूल समस्या यह आती है कि डॉक्टर पर्ची के ऊपर तो जन औषधि केंद्र लिखता है। इसलिए कि सरकार ने एक आदेश पारित किया है। जिसमें कहा गया है कि जो दवाएं अस्पताल में नहीं उपलब्ध है। उन्हें जन औषधि केंद्र से खरीदा जाए। यहां पर तैनात रहे पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक घनश्याम सिंह ने एक आदेश पारित किया था। जिसमें कहा गया था कि डॉक्टर बाहर की दवाएं नहीं लिखेंगे। सिर्फ जन औषधि केंद्र की ही दवा लिखेंगे। साथ ही साथ इन दवाओं को मरीजों से वापस नहीं कराएंगे। उन्होंने कहा कि यहां चिकित्सकों के यहां उनके एजेंट लगे रहते हैं। मरीजों से यह कहकर भेजा जाता है।कि दवा बाहर से लाएं। मरीज यहां आकर बताते हैं। उसने एक आंख के डॉक्टर संजय शर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब मरीज दवाएं यहां से ले जाते हैं। तो डॉक्टर साहब कहते हैं कि जन औषधि केंद्र के संचालक पान की दुकान खोलने के लायक नहीं है। दवा के विषय में उन्हें क्या जानकारी है। जबकि मैं यहां का व्यवस्थापक हू। हमारे यहां फार्मेसिस्ट रहते हैं। हम स्वयं दवा के क्षेत्र में पिछले 40 वर्षों से काम कर रहे हैं। इस संबंध में सीएमओ राधेश्याम केसरी ने बताया कि इसकी जांच कराई जाएगी। जो भी डॉक्टर जन औषधि केंद्र की दवाओं को वापस करेगा या फिर उसे खराब बताएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह बहुत ही गलत बात है। जन औषधि केंद्र पर उच्च क्वालिटी की जेनेरिक दवाएं उपलब्ध हैं।