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मंत्री भड़के: “पव्वा पीकर पावर में आने वालों से समाज बदनाम हो रहा, बिकाऊ और पियो की छवि क्यों बना रहे हो?

निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद कार्यकर्ताओं के रवैये पर भड़के उठे। उन्होंने अपने समाज के लिए बातों- बातों में बहुत कुछ कह दिया। जिसके बाद तमाम कार्यकर्ता बगल झांकने लगे। कहा टोपी बांटने से क्या मिलने वाला है?

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डॉ संजय निषाद फोटो सोर्स पत्रिका

डॉ संजय निषाद फोटो सोर्स पत्रिका

गोंडा के नवाबगंज स्थित एक निजी मैरिज हाल में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद कार्यकर्ताओं के रवैये पर भड़के उठे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग शराब पीकर कुछ घंटों के लिए खुद को ताकतवर समझते हैं। और फिर घर जाकर अपने परिवार के साथ बदसलूकी करते हैं। ऐसे व्यवहार की वजह से समाज पर “बिकाऊ” और “पीने वालों” की छवि बन गई है। जिसे मिटाना अब जरूरी हो गया है। ताकि अगली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रह सके।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि देश अब संविधान की व्यवस्था से चलेगा। इसमें अधिनियमों का पालन अनिवार्य है। मनमर्जी नहीं। अधिकारियों को भी संदेश दिया गया है कि देश को नियमों के अनुरूप ही चलाना होगा। हर नागरिक को मत देने का हक, इलाज का हक और अन्य सभी संवैधानिक अधिकार मिले हुए हैं। बैठक के दौरान कई कार्यकर्ता बीच में ही बाहर निकलने लगे। तो मंत्री ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए आने का क्या मतलब? बाहर भीड़ इकट्ठा कर टोपी बांटने से क्या हासिल होगा? बेवजह घूमने वालों में पहचान खो जाती है।

मंत्री बोले काशीराम की तरह हमने भी गोंडा को सुधारने का प्रण लिया

समीक्षा के दौरान जब संजय निषाद ने कार्यकर्ताओं से पूछा “सरकार के पैसे से पढ़कर क्या बड़ा अधिकारी बन गए?” तो कार्यकर्ताओं ने जवाब दिया “सर, सड़ रहे हैं।” इस पर मंत्री ने कहा कि जैसे कांशीराम ने अपने समाज को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया था। वैसे ही उन्होंने भी गोंडा को सुधारने का प्रण लिया है।

पंचायत और विधानसभा चुनाव के लिए समय से पहले चेत जाना जरूरी

आगामी पंचायत और विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए नवाबगंज में हुई इस बैठक में उन्होंने कहा कि समझदारी अक्सर देर से आती है। इसलिए नुकसान होने से पहले ही चेत जाना जरूरी है। यही वजह है कि वह लगातार कार्यकर्ताओं को दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं।

लंबे संघर्ष के बाद महिलाओं को पंचायतों में 33% आरक्षण मिला

उन्होंने कहा कि लम्बे संघर्षों के बाद महिलाओं को पंचायतों में 33% आरक्षण मिला है। आज चाहे काम उनके पति संभालें। लेकिन यह अवसर संविधान और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की देन है। ग्राम पंचायतों को मिलने वाला करोड़ों का बजट प्रधानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है।

शिक्षा का अधिकार सभी को मुफ्त शिक्षा

डॉ. निषाद ने बताया कि उन्होंने दून कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की है। और चाहते हैं कि वैसी ही गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई प्राथमिक स्तर पर भी उपलब्ध हो। उनका मानना है कि गांव का बच्चा भी सरकारी स्कूल में वही शिक्षा पाए जो बड़े संस्थानों में दी जाती है। शिक्षा का अधिकार सभी को मुफ्त उपलब्ध होना चाहिए।

जब आपका ध्यान दूसरों की जेब पर रहेगा, या तो मिलेगी खैनी फिर कुछ रुपया

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके समाज के कुछ लोग ही सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। गांव-गांव में ठेकेदारों का नेटवर्क सक्रिय है। उन्होंने कहा कि जब आपका ध्यान सिर्फ दूसरों की जेब देखने में रहेगा। तो वहां या तो खैनी मिलेगी या कुछ रुपये। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अन्य समुदायों के लोग सरकारी सहायता से पढ़ते हैं। तो निषाद समाज के बच्चों की पढ़ाई किसके पैसों से होती
है।


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