
समाजवादी पार्टी द्वारा पूर्व मंत्री स्वर्गीय पंडित सिंह के पुत्र सूरज सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद सदर विधानसभा सीट पर भाजपा व सपा के बीच रोचक मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है। पिछले चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो इस सीट पर भाजपा की प्रतीक भूषण सिंह ने अपना परचम लहराया था। प्रदेश भर में सबसे कम उम्र के विधायक में इनका नाम शुमार हुआ था। इस सीट पर बसपा के उम्मीदवार मोहम्मद जलील खान दूसरे स्थान पर रहे। जबकि सपा प्रत्याशी सूरज सिंह तीसरे स्थान पर रहे वही निर्दल प्रत्याशी के रूप में महेश नारायण तिवारी को चौथा स्थान मिला था। इस बार यदि भाजपा ने प्रतीक को अपना प्रत्याशी बनाया तो सपा व भाजपा के बीच रोचक मुकाबला होने की संभावनाएं जताई जा रही है। इस विधानसभा के मतदाताओं ने हर एक दल को मौका दिया है।
सदर विधानसभा सीट पर कभी कांग्रेस के हाथ की पकड़ बहुत ही मजबूत थी। इस सीट पर 1977 से लेकर एक बार फजू लाल वारी को छोड़ दिया जाए तो 1989 तक कांग्रेस का एकछत्र राज रहा। सन 1991 में राम मंदिर की लहर के चलते भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर तुलसीदास रायचंदानी पहली बार विधायक चुने गए। 1993 में हुए मध्यावधि चुनाव में राम लहर के चलते तुलसीदास रायचंदानी दूसरे बार विधायक चुने गए। वर्ष 1996 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर यहां पर विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह ने अपना परचम लहराया। उसके बाद 2002 में संपन्न हुए चुनाव में पंडित सिंह को एक बार फिर विजय हासिल हुई। वर्ष 2007 के चुनाव में यहां से बहुजन समाजवादी पार्टी के टिकट पर मोहम्मद जलील खान बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए। वर्ष 2012 के चुनाव में पंडित सिंह ने फिर इस सीट पर समाजवादी पार्टी का झंडा लहराया। वर्ष 2017 के चुनाव में करीब 23 वर्ष बाद भाजपा को एक बार फिर यहां से सफलता मिली तथा भाजपा के टिकट पर प्रतीक भूषण सिंह विधायक ने अपना परचम लहराया था।
Published on:
27 Jan 2022 11:28 am
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