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क्या होते हैं अस्थमा के प्रमुख लक्षण एवं जटिलताएं तथा उपचार

दमा (अस्थमा) एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है। श्वास नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं। दमा होने पर इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन होता है। यह सूजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देता है और किसी भी बेचैन करनेवाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है। जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं, तो उनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाती है।

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दमा को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है, ताकि दमे से पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। दमे का दौरा पड़ने से श्वास नलिकाएं पूरी तरह बंद हो सकती हैं, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को आक्सीजन की आपूर्ति बंद हो सकती है। यह चिकित्सकीय रूप से आपात स्थिति है। दमे के दौरे से मरीज की मौत भी हो सकती है।

अस्थमा के कुछ प्रमुख लक्षण

आमतौर पर श्वास प्रणाली में संक्रमण हो जाया करता है। दमा का दौरा जब तेज होता है तो दिल की धड़कन और साँस लेने की रफ्तार दोनों बढ़ जाती हैं तथा रोगी बेचैन व थका हुआ महसूस करता है। उसे खाँसी आ सकती है, सीने में जकड़न महसूस हो सकती है, बहुत अधिक पसीना आ सकता है और उलटी भी हो सकती है। दमे के दौरे के समय सीने से आनेवाली साँय-साँय की आवाज तंग श्वास नलियों के भीतर से हवा बाहर निकलने के कारण आती है। दमा के सभी रोगियों को रात के समय, खासकर सोते हुए, ज्यादा कठिनाई महसूस होती है। इससे खांसी, नाक बजना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं।

अस्थमा रोग होने के कारण

यदि हम बात करें अस्थमा रोग होने के कारण तो हमें पता चलता है दमा कई कारणों से हो सकता है। अनेक लोगों में यह एलर्जी मौसम, खाद्य पदार्थ, दवाइयाँ इत्र, परफ्यूम जैसी खुशबू और कुछ अन्य प्रकार के पदार्थों से हो सकता हैं; कुछ लोग रुई के बारीक रेशे, आटे की धूल, कागज की धूल, कुछ फूलों के पराग, पशुओं के बाल, फफूँद और कॉकरोज जैसे कीड़े के प्रति एलर्जित होते हैं। जिन खाद्य पदार्थों से आमतौर पर एलर्जी होती है उनमें गेहूँ, आटा दूध, चॉकलेट, बींस की फलियाँ, आलू, सूअर और गाय का मांस इत्यादि शामिल हैं। इसके कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार है

सिगरेट का धुआं ,वायु प्रदूषण ,ठंडी हवा या मौसमी बदलाव , पेंट या रसोई की तीखी गंध , सुगंधित उत्पाद

मजबूत भावनात्मक मनोभाव (जैसे रोना या लगातार हंसना) और तनाव, एस्पिरीन और अन्य दवाएं, खाद्य पदार्थों में सल्फाइट (सूखे फल) या पेय (शराब) , गैस्ट्रो इसोफीगल भाटा, विशेष रसायन या धूल जैसे अवयव

संक्रमण, तंबाकू के धुएं से भरे माहौल में रहनेवाले शिशुओं को दमा होने का खतरा होता है। यदि गर्भावस्था के दौरान कोई महिला तंबाकू के धुएं के बीच रहती है, तो उसके बच्चे को दमा होने का खतरा होता है।

दमा या अस्थमा का उपचार

दमा का कोई इलाज नहीं है पर आप अपने डॉक्टर के साथ मिलकर आप इसके लक्षणों और अस्थमा अटैक को कम कर सकते हैं-

अपने डॉक्टर और स्वास्थ्य देखभाल टीम के साथ, दवा लेने और अस्थमा के दौरे को मैनेज करने के लिए एक विस्तृत प्लान बनाएं। फिर अपने प्लान को अच्छे से पालन करें।

एलर्जी की पहचान करें व इससे बचें: मोल्ड से लेकर ठंडी हवा और वायु प्रदूषण से लेकर कई आउटडोर एलर्जेंस और परेशानियों – अस्थमा के दौरे को ट्रिगर कर सकते हैं। इन सभी का पता लगाएं कि क्या क्या आपके अस्थमा को खराब कर सकते हैं, और उन ट्रिगर्स से बचने के लिए कदम उठाएं।

अपनी साँस लेने की गतिविधि का ध्यान रखें: मामूली खांसी, घरघर या सांस लेने में तकलीफ होना, इस तरह के संकेतों को पहचानना सीखें। क्योंकि आपके फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता कम हो सकती है इसलिए किसी भी लक्षण से पहले नियमित रूप से अपनी श्वसन की प्रक्रिया को मैप करें।

निर्धारित दवाइयां समय से लें: यदि आपको ऐसा लगने लगे कि आपका दमा सही हो रहा है, बिना डॉक्टर की सलाह लिये इलाज में कुछ बदलाव न करें और न ही कोई दवाई लेना बंद करें। जितनी बार अपने डॉक्टर के पास जाएँ अपनी दवाइया साथ लेकर जायें जिससे आपका डॉक्टर यह देख सके कि आप अपनी दवाइया सही से ले रहें हैं या नहीं।

त्वरित राहत इन्हेलर (quick-relief inhaler) यदि आपको इन्हेलर की आवश्यकता जल्दी जल्दी पड़ती है तो इसका मतलब यह है कि आपकी बीमारी में कोई सुधार नहीं हो रहा है। ऐसा होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से इलाज कराएं।