
मतदान केंद्रों पर इस मशीन को ईवीएम से जोड़ कर रखा जाता है। यह मशीन कांच के शीशे से पूरी तरह से कबर्ड होती है। इसमें पारदर्शी शीशा लगा होता है। जब आप अपना मत डालते हैं। तब इससे पर्ची निकलती है। ध्यान रहे कि यह पर्ची सिर्फ 7 सेकंड तक दिखाई देती है। उसके बाद यह बॉक्स में गिर जाती है। क्या पर्ची मतदाताओं को दी नहीं जाती है। इसे पीठासीन अधिकारी के अलावा कोई दूसरा देख नहीं सकता है। मतगणना के समय किसी भी तरह का विवाद उत्पन्न होने पर इस पर्ची की भी गणना की जाती है।पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान वीवीपैट की खूब चर्चा हुई थी। इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ लगी मशीन वीवीपैट वास्तव में एक प्रिंटर की तरह होती है जो वोटर को उसके डाले गए वोट के बारे में विस्तृत जानकारी देती है।
पहली बार कब हुआ वीवीपैट का उपयोग
वीवीपैट का पहली बार इस्तेमाल सितंबर 2013 में नगालैंड के चुनाव में हुआ था। वीवीपैट का ईवीएम के साथ इस्तेमाल नगालैंड की एक विधानसभा में किया गया था।
क्या है वीवीपैट मशीन
वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल या वीवीपैट इस बात की पुष्टि करता है कि एक मतदाता के रूप में आपने जिस उम्मीदवार को वोट किया है वह उसी को गया है।
EVM एवं VVPAT का प्रथम रेंडमाइजेशन राजनैतिक दलों की उपस्थिति में शुरू हुआ
उपजिला निर्वाचन अधिकारी/अपर जिलाधिकारी सुरेश कुमार सोनी ने बताया है कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के ने निर्देशानुसार में विधानसभा सामान्य निर्वाचन-2022 के दृष्टिगत ईवीएम एवं वीवी पैट का प्रथम रेंडमाइजेशन शुरू किया गया है।
उन्होंने बताया सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एवं राज्यीय राजनैतिक दलों की उपस्थिति में सूचना विज्ञान केंद्र में कराया जा रहा है।
Published on:
13 Jan 2022 04:40 pm
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